यवतमाल जिले के दिग्रस शहर में 6 सितंबर, मंगलवार को राजस्थानी, गुजराती वैष्णव समाज की ओर से झूला उत्सव उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर शहर के प्रमुख मार्गों से भगवान की पालखी निकाली गई जिसमें समाज बंधुओं सहित महिलाएं, युवा तथा बुजुर्गों ने बढचढकर हिस्सा लिया। शहर के बालाजी मंदिर से निकलकर इस पालखी ने शहर के विभिन्न मंदिरों का दौरा किया और यह पालखी निर्धारित मार्ग से होती हुई वापस बालाजी मंदिर जा पहुंची जहां इस पालखी समारोह का समापन किया गया। मालूम हो कि इस पालखी समारोह को रेवाड़ी उत्सव, झूला उत्सव भी कहा जाता है। इस समारोह में बड़ी संख्या में गुजराती तथा राजस्थानी वैष्णव समाज के नागरिको ने शिरकत की। इस पालखी समारोह के दौरान वारकरी, भजनी मंडल, डांडिया, गरबा आदि लोककला प्रस्तुति ने राहगीरों का ध्यानाकर्षण किया। पालखी के साथ साथ भजन और नृत्य संगीत से इस झूला उत्सव की रंगत खिल उठी थी। बहरहाल इस उत्सव समारोह के बारे में श्री बालाजी लक्ष्मी नारायण संस्था के सचिव डॉ मुरलीधर राठी ने नागपुर मेट्रो समाचार को इस समारोह के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि यह पर्व पिछली एकादशी से अगली एकादशी तक एक माह तक चलता है, इस दौरान सभी विभिन्न धार्मिक त्योहार मनाए जाते है और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो राजस्थानी, गुजराती वैष्णव समाज बंधुओं के इस उत्सव को पालखी उत्सव, रेवाड़ी उत्सव तथा झूला उत्सव नाम से जाना जाता है। अपने अनेकों नाम के समान ही इस उत्सव में खुशी, हर्षोल्लास, श्रद्धा और उत्साह के अनेकों रंग इस समारोह की रौनक बढ़ाते नजर आएं।