ग्रामीण अंचल के युवाओं को रोजगार तथा कन्हान नगर परिषद के नागरिकों को बुनियादी सुविधा देने को लेकर बाजार, खेल का मैदान बनाने की योजना सहित अन्य सभी स्थानीय नागरिकों के अरमानों को क्षेत्र के नेताओं के सामने 34 करोंड में बेच दिया गया हैं. जिसके कारण अब कुछ दिनों के बाद हिंदुस्तान युनीलिव्हर लिमिटेड कंपनी जमीदोज होने को तैयार हैं. सन 1942 में महात्मा गांधी के द्वारा अग्रेंजो भारत छोडो का नारा दिया जा रहा था, उसी समय युरोप की ब्रुक बांड कंपनी के द्वारा कन्हान के नागरिकों को फ्री में चाय पिलाने सहित चाय पैकिंग का कारखाना शुरू किया जा रहा था. 30 लाख चौरस मीटर की भूमि पर स्थापित यह कारखाना कालातंर के बाद हिंदुस्तान युनीलिव्हर लिमिटेड के रूप में जाना जाने लगा. स्थानीय नेताओं के गतिरोध तथा श्रमसंघों की आपसी खीचातान के चलते यह कंपनी जुलाई 2001 में बंद कर दी गई. कंपनी बंद होने के बाद से इस कंपनी की सुरक्षा निजी सुरक्षा कर्मचारियों के हस्तें की रही थी। ज्ञात हो की इस कंपनी की जमीन पर युवाओं के लिए रोजगार खोलने के अवसर, तथा कन्हान नप के नागरिकों के लिए खेल का मैदान, बाजार, बस स्टैंड आदि अन्य जनउपयोगी सुविधाओं को संजोने का जो भविष्य क्षेत्र के नागरिकों ने देखा था, उस भविष्य को हिंदुस्तान युनीलिव्हर लिमिटेड की ओर से अधिकृत उदय पंढरीनाथ भटटे के द्वारा ग्रोमोर वेंचर्स ग्रुप को 34 करोंड में बेच दिया गया हैं. जबकि ग्रोमोर वेंचर्स की ओर से अभिषेक मनोज विजयवर्गी धरमपेठ नागपुर, दिलिप प्रल्हादराय अग्रवाल रामदास पेठ नागपुर, सौरभ नंदकिशोर शर्मा किराणा ओली कामठी, सुमित सुनील अग्रवाल प्रभात हास्पिटल रोड कामठी,अमर मोहन गुरूबक्षानी बेझनबाग रोड नागपुर के द्वारा यह 18.5 एकड भूमि इमारत सहित 29 अगस्त 2022 को खरीद ली गई हैं.इस आशय का पंजीयन पारशिवनी में दस्त क्रमांक 1594/2022 के द्वारा संपन्न कर लिया गया हैं। इस कंपनी को क्रय करने के लिए बाजार मुल्य के अनुसार मुद्रांक शुल्क 60 लाख 75 हजार रूपए भरे गए हैं,जबकि पंजीयन शुल्क 3000 हजार रूपए दिए गए है। ज्ञात हो की कन्हान क्षेत्र्र में अप्रेल 2022 में ही कंपनी के बिकने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। तब से लेकर वर्तमान समय तक किसी भी नेता,नागरिक या अन्य के द्वारा इस कंपनी परिसर को नागरिकों की भावी उपयोगिता को लेकर कोई रूची नहीं दिखाई गई थी.अब चुकी कंपनी बिक गई हैं, तथा आने वाले समय में इस कंपनी को सामने रखकर कोई संगठन एक बडा आंदोलन खडा करें, तो यह भी नागरिकों के साथ एक बडा छलावा होगा, क्योंकी इस कंपनी के बिकने के साथ ही कई परिवारों पर रोजगार की समस्या तैयार होने को हैं।