स्थानीय तुलसकर हॉस्पीटल में जटील प्लास्टिक सर्जरी संपन्न की गई। 22 वर्षीय लड़की पिछले 5-6 साल से कमर के भाग में खून का थक्का A-V ( मालफार्मेशन) इस बीमारी से पिडीत थी। पिछले 5-6 साल में खून का थक्का बन गया था। उस वजह से त्वचापर छेद होने शुरू हुए थे। ये थक्का कभी भी फुटकर अति रक्तस्त्राव से मरीज के जान को धोका होने की संभावना थी। इसे देखते पेशंट की मां और रिश्तेदारों ने उसे वर्धा तथा यवतमाल के अनेक दवाखानेमें उपचार के दाखल किया। लेकिन उपचार की जटीलता देखते उन्हे नागपूर को ले जाने की सलाह दी गई। लेकिन पेशंट की आर्थिक परिस्थीती मामूली होने से, गरीबी की वजह से उन्हे नागपूर खर्च वहन करते नही आया। ऐसी
परिस्थीती में पेशंट को हिंगणघाट के जनरल सर्जन डॉ. निलेश तुलसकर के हस्पताल में लाया गया। डॉ. निलेश तुलसकर ने बीमारी की गंभीरता और जटीलता देखते पेशंट को हिंगणघाट के नियमित प्लास्टिक सर्जरी सेवा देने वाले प्लास्टिक सर्जन डॉ. चैतन्य अशोक रामटेके की और भेजा। पेशंट को हिंगणघाट के हातेकर हॉस्पिटल स्थीत प्लास्टिक सर्जरी क्लिनिक में डॉ. रामटेके से भेट ली। डॉ. चैतन्य रामटेके ने नागपूर के रेडीओलॉजिस्ट डॉ. आकाश रामटेके की सहायता से कम से कम खर्च में कॉन्ट्रास, एम आर आय तथा सिटी एन्जोग्राफी करवा ली। और शस्त्रक्रिया के लिए तुळसकर हॉस्पीटल में भरती किया गया।. चार घंटे चले शस्त्रक्रिया के बाद वो खून का ताकता निकाल ने में डॉ. चैतन्य रामटेके को सफलता मिली। इस वक्त डॉ. रामटेके को डॉ. निलेश तुलसकर तथा बधीरीकरण तज्ञ डॉ. प्रफुल सातभाई, सिस्टर सोनु सातघरे ने विशेष सहकार्य किया। पेशंटने इस सफल शस्त्रक्रिया पर प्लॉस्टीक सर्जन डॉ. चैतन्य रामटेके, डॉ. निलेश तुलसकर, डॉ. प्रफुल सातभाई तथा हॉस्पीटल के सभी कर्मचारियोका आभार माना। उसी प्रकार पेशंट को रक्त संकलन करने में सहायता करने वाले सायंकार पॅथालॉजी लॅब के संदीप सायंकार का विशेष आभार माना।