अब्दुल लातीफ की मौत के बाद पुलिस पर लगे कई गंभीर आरोप – प्रत्यारोप,
कुछ लोग पहुंचे थे सक्करदरा थाने
भंडारा से गिरफ्तार ड्रग्स तस्कर आबू खान से 1 लाख रुपए का व्यवहार किए जाने के आरोप में पुलिस ने अब्दुल लतीफ शेख को दो दिन पहले सक्करदरा थाने में बुलाकर पूछताछ की थी। पुलिस की पूछताछ के बाद बुधवार को अब्दुल लतीफ की दिल का दौरा पडने से मौत हो गई। इस घटना को लेकर मृतक के परिजनों व समर्थकों का गुरुवार को ताजबाग परिसर में जमावडा लग गया था। चर्चा है कि इस दौरान कई आरोप प्रत्यारोप पुलिस पर लगाए गए। मृतक के कुछ समर्थकों के सक्कदरा थाने में भी पहुंचने की चर्चा दिनभर चलती रही।
क्या है पूरा मामला
अब्दुल लतीफ शेख करीब 20 साल से सामाजिक कार्यों से जुडे हैं। आरोपी आबू खान ने पुलिस को बताया कि फरारी के समय अब्दुल लतीफ शेख ने करीब 1 लाख की मदद की थी। 5 जून को आबू को पुलिस ने भंडारा से गिरफ्तार किया था। पूछताछ में आबू ने अब्दुल लतीफ से 1 लाख रुपए की मदद मिलने की बात पुलिस को बताई थी। इसी मामले में पूछताछ के लिए अब्दुल लतीफ को पुलिस ने बुलाया था। अब्दुल लतीफ रात में सक्करदरा थाने पहुंचे थे। उस दिन रात में गश्त पर उपायुक्त नुरुल हसन थे। हसन के अनुसार उन्होंने सक्करदरा थाने में अब्दुल लतीफ से करीब दो मिनट बात की थी। इसकी रिकार्डिंग थाने के सीसीटीवी कैमरे में कैद है। उन्होंने दूसरे दिन अब्दुल लतीफ को थाने में बुलवाने की बात कहकर थाने से बाहर चले गए थे। मारपीट जैसी कोई बात ही नहीं है। 7 जून को अब्दुल लतीफ को धारा 160 के तहत उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस दिया गया था। 8 जून को उनका बयान लिया गया। पश्चात वे घर चले गए थे। घर में कुछ परिचितों के साथ बैठे थे। इस दौरान हार्टअटैक आने पर उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। इस मामले को लेकर ताजबाग में गुरुवार को अब्दुल लतीफ के परिजन, समर्थक जमा हुए थे। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस के रवैये से आहत होने के कारण उनकी मौत हो गई। इधर पुलिस उपायुक्त नुरुल हसन का कहना है कि पुलिस पर जो भी आरोप लग रहे हैं। वह तथ्यहीन हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और थाने के सीसीटीवी कैमरे से सारा सच सामने आ जाएगा। पुलिस को अब्दुल लतीफ की मौत पर अफसोस है।
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ज्वाला धोटे भी पहुंची पीड़ित परिवार के घर
सामाजिक कार्यकर्ता ज्वाला धोटे भी ताजबाग परिसर में पहुंची थी। उन्होंने कहा कि अब्दुल लतीफ के मामले में चोर को छोड सन्यासी को फांसी देने वाली कहावत को पुलिस ने चरितार्थ किया है। कोई किसी पर आरोप लगा देगा तो पुलिस उसके खिलाफ कैसे मामला दर्ज करने की बात कर सकती है। पुलिस को मामले की जांच करनी चाहिए। अब्दुल लतीफ की मौत के मामले में कौन दोषी है, इसकी जांच होनी चाहिए।
मीडिया के सामने दिया बयान
मृतक के भाई हफीस बालू शेख व अन्य परिजनों का आरोप है कि पुलिस की मारपीट से उनकी मौत हुई। उन्हें कुछ दिनों से जबरन बुलाकर परेशान किया जा रहा था। अब्दुल लतीफ शेख सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ एक निजी बैंक में नौकरी करते थे। पुलिस को आबू ने बताया था कि फरारी के दौरान अब्दुल लतीफ ने उसे एक लाख रुपए की मदद की थी। मृतक के भाई का कहना है कि आबू से उनके भाई अब्दुल लतीफ का कोई संबंध नहीं था। पुलिस बेवजह बुलाकर परेशान कर रही थी। परिजनों का यह भी आरोप है कि एक संस्था के पदाधिकारी की शह पर यह कार्य पुलिस कर रही थी। एक पुलिस कर्मचारी का दुबई दौरे की व्यवस्था करने के कारण मृतक का आबू से संबंध जोडा जा रहा था। इस मामले की जांच करने की मांग हफीस बालू शेख ने मीडिया से बातचीत करने के समय की।