नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि सीबीआई एक विशेष और प्रशिक्षित एजेंसी है. महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ निचली अदालत के आदेश में कथित तौर पर पूर्वाग्रह से ग्रसित टिप्पणियों से प्रभावित नहीं होगी. एजेंसी की प्रारंभिक जांच (पीई) ने कथित पर देशमुख को क्लीन चिट दे दी है. निचली अदालत के आदेश में उनके खिलाफ की गई चौंकाने वाली टिप्पणियों के खिलाफ देशमुख की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सीबीआई स्वतंत्र तरीके से जांच और कार्रवाई करेगी. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने तर्क दिया कि निचली अदालत के आदेश से ऐसा लगता है कि जांच एजेंसी को याचिकाकर्ता को मामले में फंसाने का अधिकार है. निचली अदालत ने याचिकाकर्ता की भूमिका का पूर्व-निर्धारण कर लिया और जब वह सीबीआई निर्देश दे सकती थी उस वक्त ओवरबोर्ड हो गई. अदालत ने कहा कि सीबीआई एक प्रशिक्षित एजेंसी है जो निचली अदालत की टिप्पणियों से प्रभावित नहीं होगी. निचली अदालत के न्यायाधीश ने केवल कारण बताया कि उसने आगे की जांच के आदेश क्यों दिया. न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि यह साफ है कि सीबीआई स्वतंत्र रूप से कार्य करेगी.
स्वतंत्र तरीके से मामले की जांच
सीबीआई की ओर से पेश अधिवक्ता निखिल गोयल ने कहा कि एजेंसी स्वतंत्र तरीके से मामले की जांच कर रही है. दिसंबर में विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने सीबीआई को पीई मामले में देशमुख की भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया था. मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश को पलटने के लिए पूर्व मंत्री के खिलाफ प्रारंभिक जांच के निर्देश दिए थे.