नागपुर। रामायण हमें सामाजिक सीख ही नहीं देती बल्कि ईश्वर में आस्था और प्रेम की पूर्णता से परिचय भी कराती है. शबरी की कथा इसका सर्वोत्तम उदाहरण है. उक्त उद्गार संगीतमय श्री राम कथा के दौरान राजन महाराज ने व्यक्त किये. अखंड भारत विचार मंच की ओर से आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा में महाराज ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम के स्वभाव का परिचय दिया. महाराज ने आगे कहा कि शबरी ने अपने गुरु का कहा पूर्ण मनोयोग से निभाया. फलस्वरूप गुरु के कहे अनुसार शबरी के श्री राम सीता जी की खोज में उसी रास्ते से गुजरे जिस पर सारा जीवन शबरी आंखें लगाए रहीं. शबरी एक भक्त थीं. वह रोज आश्रम के मार्ग की सफाई करतीं और कंद-मूल रखकर श्री राम का इंतजार करतीं. इस तरह करते-करते शबरी बूढ़ी हो गई थीं.लेकिन उन्होंने श्री राम से मिलने की आस नहीं छोड़ी. उन्हें पूरा विश्वास था कि उनके गुरु ने जो कहा है उनकी वाणी जरूर सत्य होगी? भगवान राम इसी मार्ग से गुजरेंगे और उसकी मुक्ति हो जाएगी. शबरी ने पूरी उम्र श्री राम की प्रतीक्षा में लगा दी. उनकी प्रतीक्षा पूरी हुई. श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ सीता जी की खोज करते हुए मातंग ऋषि के आश्रम पहुंचे. शबरी ने उन्हें पहचान लिया और उनका स्वागत किया. शबरी ने भगवान को सभी कंद-मूल और फल अर्पण किए, लेकिन बेर अर्पण करने में उन्हें संकोच हो रहा था. उन्हें डर था कि उनके भगवान को कहीं खट्टे बेर न मिल जाएं, इसलिए उन्होंने उसे चखना शुरू किया और मीठे फल श्री राम को देने लगीं. श्रीराम भी शबरी के बेर प्रेम से खाने लगे. श्रीराम शबरी की सरलता पर मोहित थे. शबरी की भक्ति आज भी निश्छल प्रेम की कहानी कहती है.
राम राज्याभिषेक के साथ कथा का समापन
अखंड विचार मंच की ओर से मानकापुर के प्राचीन शिव मंदिर में आयोजित संगीतमय श्री राम कथा का समापन सोमवार को रावण वध व रामराज्याभिषेक के साथ किया. इस अवसर पर यजमान आशीष गुप्ता, अजीत मिश्रा, अतिथि नगरसेवक संदीप जाधव, संजय पांडे, अजय पांडे, श्रीकांत देशमुख, विनोद ढोबले, अल्केश येरखेड़े ने व्यासपीठ का पूजन किया. मंच के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने कथावाचक का सत्कार किया व आभार प्रदर्शन किया.