नागपुर। (नामेस)। एक डॉक्टर के यहां 10 वर्ष तक टेक्नीशियन का काम करने वाला खुद को ही डॉक्टर समझने लगा. अपने नाम के आगे बिना अथॉरिटी के डॉक्टर शब्द लगाकर पैथोलॉजी लैब चलाने लगा. मरीजों को सिर्फ सैम्पल लेने वाला फर्जी टेस्ट रिपोर्ट भी देने लगा. लेकिन शिकायत मिलने के बाद क्राइम ब्रांच ने करीब डेढ़ महीने की जांच के बाद इसका पर्दाफाश किया है. उसके खिलाफ हुफकेश्वर पुलिस थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. आरोपी का नाम टेलीफोन नगर निवासी महेश काशीनाथ अंबाडे (40) है. महेश ने केवल डीएमएलटी कोर्स किया है. उसने डाॅ. लिमजे के यहां करीब 10 वर्ष तक टेक्नीशियन का काम किया. इसके बाद वह ब्लड, यूरिन और बाकी बीमारियों के लिए जरूरी जांच का एक्सपर्ट समझने लगा. लोगों पर अपना प्रभाव जमाने के लिए उसने अपने नाम के आगे डाॅक्टर जोड़कर एमबीबीएस, एमडी जैसी डिग्रियां लिखना शुरू कर दिया. उसकी रिपार्ट वास्तविक लगे इसके लिए उसने डा. लिमजे के नाम का लेटर हेड भी बना लिया. वह उनकी फर्जी साइन करके रिपोर्ट देने लगा. महेश की कारस्तानियों का पता चलने के बाद महाराष्ट्र मेडिकल काउंसलिंग द्वारा इस बारे में शहर पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार से लिखित शिकायत की है. करीब डेढ़ महीने के बाद महेश के फर्जीवाड़े के जरूरी सबूत मिलने के बाद पुलिस ने इसके खिलाफ मामला दर्ज किया है.