“नागपुर के प्रमुख त्योहार: शहर की रंगीन परंपराएं”

नागपुर, जिसे “ऑरेंज सिटी” के नाम से भी जाना जाता है, न केवल अपने संतरे के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह शहर अपनी समृद्ध संस्कृति और विविध परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। नागपुर में हर साल विभिन्न त्योहारों का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होते हैं। यहाँ के त्योहार शहर की विविधता और एकता को प्रदर्शित करते हैं और स्थानीय लोगों के बीच सामूहिकता और खुशी का अहसास कराते हैं। आइए जानते हैं नागपुर के प्रमुख त्योहारों के बारे में और उनकी रंगीन परंपराओं के बारे में।

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1. मारबत उत्सव: नागपुर का अनोखा परंपरा

मारबत उत्सव नागपुर का सबसे खास और अद्भुत त्योहार है। यह खासतौर पर रावण दहन से संबंधित है और हर साल सप्ताह भर मनाया जाता है। मारबत शब्द का अर्थ है “वह पुतला” या “वह मूरत” जो बुराई को नष्ट करने का प्रतीक होता है। यह त्योहार खासतौर पर नागपुर शहर में मनाया जाता है, जहां लोग विशाल पुतले बनाकर उन्हें जलाते हैं।

मारबत उत्सव की शुरुआत पाठशाला परंपरा से होती है, जिसमें शहर के विभिन्न हिस्सों में झांकियाँ निकाली जाती हैं और परंपरागत नृत्य व गाने होते हैं। इस दिन को नागपुरवासी बड़े धूमधाम से मनाते हैं और यह दर्शाता है कि बुराई के खिलाफ अच्छाई की जीत होती है।

2. गणेश चतुर्थी: श्रद्धा और उल्लास का पर्व

गणेश चतुर्थी नागपुर का सबसे बड़ा और लोकप्रिय त्योहार है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना होती है, और यह पूरे शहर में उल्लास और भक्ति के माहौल में मनाया जाता है। यहाँ के लोग घरों और सार्वजनिक स्थानों पर बड़े-बड़े गणेश idols स्थापित करते हैं। पारंपरिक रूप से, इस दिन लोग मोदक का प्रसाद अर्पित करते हैं और शहरभर में रैलियां, झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। विशेष रूप से नागपुर के रामनगर क्षेत्र में गणेश चतुर्थी का आयोजन बड़े धूमधाम से होता है, जहां विशाल गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।

3. मकर संक्रांति: सूर्य की पूजा और तिलगुल की मिठास

मकर संक्रांति एक कृषि आधारित त्योहार है, जो विशेष रूप से कड़ाके की ठंड के मौसम में मनाया जाता है। इस दिन लोग सूर्य को अर्घ्य देकर उसकी पूजा करते हैं और तिलगुल का आदान-प्रदान करते हैं। नागपुर में मकर संक्रांति का आयोजन बहुत धूमधाम से किया जाता है, खासकर नाग नदी के किनारे और शहर के बाहर के गांवों में। इस दिन लोग पतंगबाजी का आनंद लेते हैं और मित्रों और परिवारजनों के साथ मिलकर तिल और गुड़ की मिठाईयाँ खाते हैं। यह त्योहार उन्नति, समृद्धि और खुशी का प्रतीक है।

4. गुढ़ी पडवा: नववर्ष की शुरुआत

गुढ़ी पडवा महाराष्ट्र का प्रमुख पर्व है और यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह आमतौर पर मार्च या अप्रैल में मनाया जाता है। इस दिन, घरों में गुढ़ी यानी एक लकड़ी की छड़ी पर एक रेशमी कपड़ा बांधकर उसे घर की छत पर लगाया जाता है। यह शांति, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। लोग इस दिन घरों की सफाई करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और विशेष व्यंजन जैसे पुरी, हलवा और शिरा का सेवन करते हैं। गुढ़ी पडवा के दिन रथ यात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।

5. नाग पंचमी: नागों की पूजा का दिन

नाग पंचमी नागपुर और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। इस दिन लोग अपने घरों में नाग देवता की पूजा करते हैं और विशेष रूप से सर्पों की पूजा अर्चना की जाती है। नाग पंचमी के दिन नागपुर के विभिन्न मंदिरों में नाग देवता की पूजा की जाती है और श्रद्धालु यह दिन व्रत रखते हुए पूजा करते हैं। यह पर्व गांवों और शहरों दोनों में मनाया जाता है, और यह विशेष रूप से उन स्थानों पर मनाया जाता है, जहाँ सर्पों की पूजा की जाती है।

6. दशहरा: शक्ति का उत्सव

दशहरा, जो विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, नागपुर में विशेष महत्व रखता है। इस दिन राक्षसों और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में रावण दहन किया जाता है। नागपुर में दशहरा पर्व पर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद की विशाल प्रतिमाओं का दहन किया जाता है। शहर में कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन भी होता है, जहाँ कलाकार राक्षसों के साथ युद्ध और राम की विजय की कहानी का मंचन करते हैं। यह त्योहार शहर में समृद्धि और विजय की भावना को दर्शाता है।

7. नवरात्रि: शक्ति की आराधना और गरबा महोत्सव

नवरात्रि नागपुर में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है, और यह त्योहार विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित होता है। नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा के दौरान, नागपुर में विभिन्न मंदिरों में देवी की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के अंतिम दिन, राम-लीला और दुरगामाता के दर्शन का आयोजन भी होता है। इस दौरान शहर के विभिन्न हिस्सों में गरबा और दांडिया रास जैसे पारंपरिक नृत्य कार्यक्रम होते हैं, जिनमें लोग एक साथ नृत्य करते हैं और देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। नवरात्रि के दौरान पूरे शहर में उत्सव का माहौल होता है, और यह शहर की जीवंत संस्कृति का प्रतीक है।

8. दीवाली: खुशियों और रोशनी का त्योहार

भारत के अन्य हिस्सों की तरह, नागपुर में भी दीवाली को अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार रोशनी, मिठाइयों, पटाखों और खुशियों का प्रतीक है। इस दिन, घरों और सार्वजनिक स्थानों को दीपों और रंगीन लाइटों से सजाया जाता है। नागपुर में विशेष रूप से बल्लारशाह और कारंजा जैसे क्षेत्रों में दीवाली की सजावट और रौनक देखने लायक होती है। इस दिन मिठाईयों का आदान-प्रदान होता है और लोग एक-दूसरे को लक्ष्मी पूजन की शुभकामनाएं देते हैं। नागपुर के बाजारों में दीवाली के दौरान बहुत भीड़ होती है, जहां लोग नए कपड़े, गहनों और घर के सामान की खरीदारी करते हैं।

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