जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत के प्रयास

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जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से एक है। भारत, अपनी विशाल जनसंख्या और विविध पर्यावरणीय परिदृश्य के साथ, इस संकट का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वनों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग, समुद्र स्तर में वृद्धि और बेमौसम बारिश जैसी घटनाएँ न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही हैं, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन और आजीविका को भी प्रभावित कर रही हैं।

इस ब्लॉग में हम भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए किए गए प्रयासों और उनकी प्रभावशीलता पर चर्चा करेंगे।


भारत का दृष्टिकोण: जलवायु न्याय और सतत विकास

भारत ने हमेशा से जलवायु परिवर्तन के प्रति जिम्मेदार दृष्टिकोण अपनाया है। 2015 में पेरिस समझौते के तहत, भारत ने अपनी प्रतिबद्धताओं को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया और जलवायु न्याय (Climate Justice) की अवधारणा को प्रोत्साहित किया। यह दृष्टिकोण इस तथ्य को उजागर करता है कि विकासशील देशों को उनके विकास के अधिकार के साथ पर्यावरणीय संरक्षण के बीच संतुलन बनाना चाहिए।


भारत के प्रमुख प्रयास

1. राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs)

  • पेरिस समझौते के तहत, भारत ने तीन प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए:
    1. 2030 तक अपनी GDP की उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करना।
    2. गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से 50% बिजली उत्पादन।
    3. 2030 तक 2.5-3 बिलियन टन CO₂ समकक्ष कार्बन सिंक (कार्बन अवशोषण) बनाना।

2. राष्ट्रीय सौर मिशन

  • 2010 में शुरू किए गए इस मिशन का उद्देश्य 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन करना था, जिसे अब 2030 तक 500 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • भारत आज सौर ऊर्जा उत्पादन में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है।

3. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)

  • 2015 में भारत और फ्रांस द्वारा स्थापित यह गठबंधन, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और सदस्य देशों में नवीकरणीय ऊर्जा को सुलभ बनाने के लिए काम करता है।

4. वन और जल संरक्षण

  • CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) के तहत वनीकरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • जल जीवन मिशन और नमामि गंगे योजना जैसे कार्यक्रम जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

5. ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

  • 2023 में शुरू किया गया यह मिशन हाइड्रोजन को ऊर्जा के स्वच्छ और नवीकरणीय स्रोत के रूप में बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।

6. ई-वाहन और परिवहन में बदलाव

  • इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के लिए FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) योजना लागू की गई।
  • सार्वजनिक परिवहन को स्वच्छ ऊर्जा में बदलने पर जोर दिया गया है।

7. राष्ट्रीय अनुकूलन कोष

  • कृषि, जल संसाधन और स्वास्थ्य क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए एक विशेष कोष स्थापित किया गया है।

सफलताएँ और प्रभाव

  1. सौर ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व
    • भारत में 70 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा चुकी है।
  2. वन क्षेत्र में वृद्धि
    • भारत का वन क्षेत्र कुल भूमि क्षेत्र का 24% है, जिसे बढ़ाने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
  3. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी
    • 2020 तक भारत ने अपनी GDP की उत्सर्जन तीव्रता को लगभग 24% तक कम किया।
  4. जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी
    • स्वच्छ भारत अभियान और प्लास्टिक प्रतिबंध जैसे प्रयासों ने आम जनता को पर्यावरण संरक्षण में शामिल किया।

चुनौतियाँ

  1. विकास बनाम पर्यावरण का संतुलन
    • तीव्र शहरीकरण और औद्योगीकरण के चलते पर्यावरणीय स्थिरता बनाए रखना कठिन है।
  2. वित्तीय संसाधनों की कमी
    • जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है, जो विकासशील देशों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  3. तकनीकी आवश्यकताएँ
    • नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए अत्याधुनिक तकनीक की जरूरत है।
  4. प्राकृतिक आपदाएँ
    • बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे बाढ़, सूखा, और चक्रवात, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रयासों को प्रभावित करती हैं।

आगे की राह

भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपने प्रयासों को और मजबूत करना होगा। इसके लिए:

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
  • अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करना।
  • स्थानीय स्तर पर समुदायों को जलवायु समाधान का हिस्सा बनाना।
  • ग्रीन फाइनेंस और निजी निवेश को प्रोत्साहित करना।

निष्कर्ष

जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत के प्रयास न केवल सराहनीय हैं, बल्कि अन्य देशों के लिए प्रेरणा भी हैं। भारत ने सतत विकास और जलवायु न्याय के माध्यम से एक नई दिशा प्रदान की है। हालाँकि, इन प्रयासों को जारी रखने और और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार, उद्योग, और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा।

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