
नागपुर – एम्स जैसी प्रतिष्ठित संस्था से चिकित्सा की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टरों पर बड़ी जिम्मेदारी होती है। गरीबों की निःस्वार्थ सेवा करें और पिछड़े इलाकों तक अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाने पर जोर दें। यह अपील केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने की। शनिवार, 29 मार्च को नागपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का पहला दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सांसद श्यामकुमार बर्वे, सांसद राजेंद्र गोपछडे, विधायक संजय मेश्राम, एम्स के अध्यक्ष डॉ. अनंत पंढरे और कार्यकारी निदेशक डॉ. प्रशांत जोशी उपस्थित थे।
नितिन गडकरी ने कहा, “विदर्भ के ग्रामीण इलाकों के मरीजों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने का कार्य एम्स कर रहा है। भविष्य में एम्स का काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जाए, इस दिशा में प्रयास किए जाएंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि अन्य अस्पतालों में जो सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, वे एम्स में मिलनी चाहिए। खासतौर पर उत्तर नागपुर और पूर्वी विदर्भ में थैलेसीमिया और सिकल सेल जैसी बीमारियों की बड़ी समस्या है। उत्तर नागपुर में हजारों मरीज हैं। अब एम्स में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो गई है, जो एक सकारात्मक पहल है। इसलिए क्षेत्रीय समस्याओं को ध्यान में रखकर काम करना जरूरी है।

अच्छा डॉक्टर, अच्छा इंसान भी होना चाहिए
मेडिकल की पढ़ाई के बाद डॉक्टरों को समाज में प्रतिष्ठा मिलती है, लेकिन एक अच्छा इंसान भी अच्छा डॉक्टर होना चाहिए। जब कोई व्यक्ति अच्छा कार्य करता है तो प्रगति अपने आप होती है। यह संदेश भी नितिन गडकरी ने युवा डॉक्टरों को दिया।
राज्यपाल बोले – ‘गडकरी भारत के केनेडी हैं’
राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने दीक्षांत समारोह के दौरान डॉक्टरों और एम्स के प्रशासन की सराहना की। इसी दौरान उन्होंने नितिन गडकरी की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी कहा करते थे कि देश के विकास में अच्छी सड़कों की अहम भूमिका होती है। गडकरी जी ने देशभर में जो कार्य किए हैं, उन्हें देखकर मैं कह सकता हूं कि वे ‘भारत के जॉन एफ. केनेडी’ हैं।”