“अमिताभ बच्चन का करियर: शहंशाह बनने तक का सफर”

  • Save

अमिताभ बच्चन, जिन्हें भारतीय सिनेमा का “शहंशाह” कहा जाता है, केवल एक नाम नहीं बल्कि एक युग हैं। उनका करियर संघर्ष, मेहनत, और सफलता की प्रेरणादायक कहानी है। 1969 में फिल्मों में कदम रखने वाले अमिताभ ने न केवल बॉलीवुड के क्षितिज पर राज किया, बल्कि लाखों दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनकी सफलता का सफर चुनौतियों और अनगिनत उपलब्धियों से भरा है।


शुरुआत के दिन: संघर्ष और चुनौतियां

अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन प्रसिद्ध कवि थे, जबकि मां तेजी बच्चन ने हमेशा उनके सपनों का समर्थन किया।

  • सिनेमा में शुरुआत:
    अमिताभ ने 1969 में फ़िल्म सात हिंदुस्तानी से अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि फिल्म को ज्यादा सफलता नहीं मिली, लेकिन अमिताभ के अभिनय ने लोगों का ध्यान खींचा।
  • संघर्ष का दौर:
    अपने शुरुआती करियर में, अमिताभ ने कई असफलताओं का सामना किया। उन्हें फिल्मों में काम पाने के लिए कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा।

एंग्री यंग मैन का उदय

1973 में फिल्म जंजीर ने अमिताभ बच्चन को “एंग्री यंग मैन” का टैग दिया। यह उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

  • जंजीर की सफलता के बाद, उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्में दीं, जिनमें दीवार (1975), शोले (1975), और त्रिशूल (1978) शामिल हैं।
  • इन फिल्मों ने उन्हें एक्शन और गंभीर किरदारों के मास्टर के रूप में स्थापित किया।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी

अमिताभ बच्चन केवल एक्शन हीरो नहीं, बल्कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता हैं।

  • अभिमान (1973) और कभी कभी (1976) जैसी फिल्मों में उन्होंने रोमांटिक और इमोशनल किरदार निभाए।
  • चुपके चुपके (1975) और अमर अकबर एंथनी (1977) में उनके कॉमिक टाइमिंग ने दर्शकों का दिल जीता।

1980 का दशक: स्टारडम का शिखर

1980 का दशक अमिताभ के करियर का स्वर्णिम युग था।

  • उनकी फिल्में जैसे लावारिस (1981), सिलसिला (1981), शक्ति (1982), और कुली (1983) ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाई।
  • इस दौरान, उनकी शख्सियत एक पारिवारिक और एक्शन हीरो के रूप में और भी मजबूत हुई।

जिंदगी और मौत का संघर्ष

1982 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान अमिताभ गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस हादसे ने उनके जीवन और करियर दोनों को बदल कर रख दिया।

  • देशभर में उनके फैंस ने उनके लिए प्रार्थना की।
  • यह घटना उनके फैंस के साथ उनके भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन गई।

1990 का दशक: करियर का उतार-चढ़ाव

1990 के दशक में अमिताभ बच्चन को करियर में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

  • उनकी कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं।
  • 1996 में उन्होंने अपनी कंपनी ABCL (अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड) शुरू की, जो आर्थिक संकट में आ गई।

लेकिन अमिताभ ने हार नहीं मानी और जल्द ही अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की।


दूसरी पारी: टीवी और फिल्मों में धमाकेदार वापसी

2000 में कौन बनेगा करोड़पति (KBC) ने अमिताभ बच्चन के करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।

  • उनकी दमदार आवाज और व्यक्तित्व ने शो को ऐतिहासिक सफलता दिलाई।
  • फिल्मों में भी उन्होंने मोहब्बतें (2000), बागबान (2003), ब्लैक (2005), और पा (2009) जैसी हिट फिल्में दीं।

अमिताभ बच्चन: प्रेरणा का स्रोत

अमिताभ बच्चन का करियर केवल सफलता की कहानियां नहीं, बल्कि एक संघर्षशील व्यक्ति की मेहनत और जुझारूपन की मिसाल है।

  • उन्होंने हर मुश्किल घड़ी में खुद को मजबूत बनाए रखा।
  • उनके अभिनय के साथ-साथ उनकी सरलता, अनुशासन, और समाज सेवा ने उन्हें लाखों लोगों का आदर्श बनाया।

उनके योगदान को पहचान

अमिताभ बच्चन को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं।

  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए कई बार सम्मानित।
  • पद्म पुरस्कार: उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण से नवाजा गया।
  • दादा साहेब फाल्के पुरस्कार: भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान।

निष्कर्ष: एक युग की कहानी

अमिताभ बच्चन का करियर भारतीय सिनेमा के इतिहास का सबसे शानदार अध्याय है। उनके संघर्ष, मेहनत, और जुनून ने उन्हें “सदी का महानायक” बनाया।
उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत और लगन से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। अमिताभ बच्चन न केवल एक महान अभिनेता हैं, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।

“शहंशाह” अमिताभ बच्चन का यह सफर दिखाता है कि सपनों को पूरा करने के लिए साहस और संघर्ष की जरूरत होती है। उनकी जिंदगी हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share via
Copy link