अमिताभ बच्चन, जिन्हें सिनेमा का “सदी का महानायक” कहा जाता है, ने अपने बहुआयामी करियर में एक समय राजनीति की दुनिया में भी कदम रखा। हालांकि उनकी यह यात्रा लंबे समय तक नहीं चली, लेकिन इसने भारतीय राजनीति और उनके प्रशंसकों के बीच गहरी चर्चा का विषय जरूर बना।
अमिताभ बच्चन का राजनीति में प्रवेश, अनुभव, और इसके बाद राजनीति से दूरी बनाने की कहानी कई मायनों में दिलचस्प और प्रेरक है। आइए, जानते हैं उनके राजनीति में सफर की पूरी कहानी।
राजनीति में प्रवेश: दोस्ती और प्रेरणा का असर
1984 में, जब अमिताभ बच्चन अपने फिल्मी करियर के शिखर पर थे, उन्होंने अचानक राजनीति में कदम रखने का फैसला किया।
- इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ रिश्ता:
बच्चन परिवार का गांधी परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध था। राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन बचपन के दोस्त थे। यही दोस्ती उन्हें राजनीति में लाने का मुख्य कारण बनी। - कांग्रेस पार्टी में शामिल होना:
अमिताभ ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा।
1984 का लोकसभा चुनाव: एक ऐतिहासिक जीत
अमिताभ बच्चन ने 1984 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की।
- उन्होंने उस समय के बड़े नेता और राजनेता एच. एन. बहुगुणा को हराया।
- उनकी जीत का अंतर लाखों वोटों का था, जो यह दिखाता है कि उनकी लोकप्रियता राजनीति में भी कितनी गहरी थी।
- इस जीत ने राजनीति में उनकी प्रभावशाली शुरुआत को चिन्हित किया।
राजनीति में अनुभव: संघर्ष और चुनौतियां
हालांकि अमिताभ बच्चन ने राजनीति में शानदार शुरुआत की, लेकिन उनका अनुभव इतना सुखद नहीं रहा।
- राजनीतिक माहौल:
राजनीति की जटिलताओं और साजिशों ने उन्हें प्रभावित किया।- उन्होंने माना कि राजनीति उनके स्वभाव के अनुकूल नहीं है।
- बोफोर्स विवाद:
इस विवाद के कारण गांधी परिवार और बच्चन परिवार के संबंधों में खटास आई।- अमिताभ ने बाद में स्पष्ट किया कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं था।
राजनीति से संन्यास: व्यक्तिगत और पेशेवर कारण
अमिताभ बच्चन ने 1987 में राजनीति से दूरी बना ली।
- उन्होंने इसे “गलत जगह पर पहुंचने का गलत समय” करार दिया।
- उनके अनुसार, राजनीति में उनकी भूमिका उनके स्वाभाव और प्राथमिकताओं से मेल नहीं खाती थी।
- इसके बाद उन्होंने सिनेमा पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया।
राजनीति से सीखा सबक
अमिताभ बच्चन का राजनीतिक अनुभव उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में कई सबक सिखा गया।
- समझदारी से फैसला लेना:
उन्होंने सीखा कि हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल करना संभव नहीं है। - परिवार और व्यक्तिगत प्राथमिकताएं:
राजनीति छोड़ने के बाद उन्होंने अपने परिवार और करियर पर ध्यान केंद्रित किया।
राजनीति के बाद का जीवन
राजनीति से अलग होने के बाद, अमिताभ बच्चन ने सिनेमा में अपनी दूसरी पारी शुरू की और इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
- उनकी वापसी फिल्म “शहंशाह” से हुई, जो सुपरहिट साबित हुई।
- इसके बाद उन्होंने “कौन बनेगा करोड़पति” जैसे शो और सामाजिक अभियानों के माध्यम से अपनी लोकप्रियता को बरकरार रखा।
अमिताभ बच्चन का राजनीति पर दृष्टिकोण
भले ही अमिताभ बच्चन ने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली हो, लेकिन उनका भारतीय राजनीति पर स्पष्ट दृष्टिकोण है।
- वह अक्सर सोशल मीडिया पर सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते हैं।
- कई बार वह राजनीतिक घटनाओं पर परोक्ष रूप से टिप्पणी करते हैं, जो उनकी परिपक्व सोच को दर्शाती है।
निष्कर्ष: राजनीति में अमिताभ बच्चन की पारी का प्रभाव
अमिताभ बच्चन का राजनीति में सफर भले ही छोटा रहा हो, लेकिन इसने भारतीय राजनीति और उनके प्रशंसकों पर एक गहरी छाप छोड़ी।
- उनकी यह यात्रा दिखाती है कि सफलता हर क्षेत्र में संभव नहीं है और हर व्यक्ति को अपने स्वभाव और रुचि के अनुसार जीवन में निर्णय लेना चाहिए।
“राजनीति में उनका अनुभव यह साबित करता है कि अमिताभ बच्चन न केवल एक अद्भुत अभिनेता हैं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान भी हैं, जो अपने जीवन के हर पक्ष को पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ जीते हैं।”