सूखने की कगार पर यमुना

नई दिल्ली. यमुना सूखने की कगार पर पहुंच गई है। इससे दिल्ली में पेयजल की समस्या और गहराने लगी है। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के एक अधिकारी के मुताबिक इन संयंत्रों से पानी की आपूर्ति 40 प्रतिशत तक कम हो गई क्योंकि यमुना पहले से ही तकरीबन सूख चुकी है। वजीराबाद बैराज में जलस्तर पांच फुट तक घटकर इस साल के न्यूनतम स्तर 669.40 फीट पर पहुंच गया है। इससे वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जल उपचार संयंत्रों में उत्पादन क्षमता 60-70 प्रतिशत तक गिर गई है। बोर्ड ने करीब 25 इलाकों की सूची जारी करते हुए दिल्लीवासियों से अपील की है कि जरूरत के मुताबिक पानी को एकत्रित कर पानी का इस्तेमाल करें। इसके बाद भी अगर पानी की समस्या होती है कि टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जाएगी। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। पिछले साल 11 जुलाई को तालाब का स्तर 667 फीट तक गिरने के बाद दिल्ली जल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए हरियाणा को यमुना में अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश देने की मांग की थी। डीजेबी ने इस संबंध में तीन बार हरियाणा सिंचाई विभाग को एक पखवाड़े में 12 मई, 3 मई और 30 अप्रैल को पत्र लिखा है। हरियाणा दो नहरों (सीएलसी और डीएसबी) और यमुना से प्रतिदिन 610 मिलियन गैलन(एमजीडी) पानी की आपूर्ति करता है। सीएलसी और डीएसबी को मुनक नहर और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के जरिये हथिनी कुंड से पानी की आपूर्ति की जाती है। इसके अलावा दिल्ली को ऊपरी गंगा नहर के माध्यम से उत्तर प्रदेश से 253 एमजीडी प्राप्त होता है जबकि 90 एमजीडी कुओं और नलकूपों से प्राप्त होता है। चंद्रवाल, वजीराबाद और ओखला डब्ल्यूटीपी की क्षमता क्रमश: 90 एमजीडी, 135 एमजीडी और 20 एमजीडी है। 40 प्रतिशत की कमी का मतलब 98 एमजीडी पानी की कमी है। ये संयंत्र दिल्ली छावनी और नई दिल्ली नगर परिषद क्षेत्रों सहित पूर्वोत्तर दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली, मध्य दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली को पीने के पानी की आपूर्ति करते हैं।

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