नई दिल्ली. देश में इस बार रिकॉर्ड तोड़ गरमी पड़ रही है और लू-लपट, हीट वेव के कारण समूचा उत्तर भारत, मध्य भारत परेशान है. ऐसे में एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि राजधानी दिल्ली सहित भारत में कई स्थानों पर तापमान 50 डिग्री को छू सकता है. ब्रिटेन के मौसम विभाग का एक अध्ययन बताता है कि भारत में हीटवेव की संभावना 100 गुना बढ़ी गई है. भविष्य में गर्म हवाओं की घटनाएं और बढ़ेंगी. मौसम विभाग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि जलवायु परिवर्तन के चलते भारत और पाकिस्तान में गर्म हवाओं के दौर में 100 गुना इजाफा हुआ है. इस वजह से चरम मौसम की जो घटनाएं पहले हर तीन शताब्दी में एक बार देखने को मिलती थी वह अब हर तीन साल में होने की आशंका है. अध्ययन में पाया गया है कि 2010 में अप्रैल और मई में जो औसत तापमान था वह 1900 में अप्रैल और मई के औसत तापमान से कहीं ज्यादा था. एट्रीब्यूशन स्टडी जो मौसम से जुड़ी घटनाओं पर जलवायु परिवर्तन के असर का आकलन करती है, उसके हिसाब से 2010 में औसत तापमान में जो अधिक गर्मी की लहर का असर दिखा था, उसकी प्राकृतिक संभावना 312 साल में एक बार होती है. हालांकि वर्तमान में जो जलवायु परिवर्तन को लेकर जो स्थिति बन रही है उसने इन घटनाओं के होने की आशंका को बढ़ाकर 3.1 साल में एक बार कर दिया है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सदी के अंत तक गर्म हवाएं के बहने की घटनाएं बढ़कर हर 1.5 साल में एक बार हो जाएंगी. मौसम विभाग के प्रोफेसर पीटर स्कॉट का कहना है कि तापमान के 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचना बताता है कि गर्म हवाओं का सिलसिला अपने चरम पर है और इससे लोगों ओर उनके जीवन पर कितना बुरा असर पड़ रहा है. हालांकि अभी वैज्ञानिकों को इस महीने के आखिर तक रुकना होगा तभी जाकर अप्रैल और मई का औसत निकल पाएगा जिसके बाद यह आकलन लगाना आसान होगा कि 2022 में स्थिति 2010 से कम थी या ज्यादा खतरनाक थी.
जलवायु परिवर्तन ने गरमी बढ़ा दी
इस अध्ययन को तैयार करने वाले निकोस क्रिस्टिडिस का कहना है कि अप्रैल और मई में लू चलना इस क्षेत्र में प्री-मानसून के पहले की गतिविधि के तौर पर देखा जाता रहा है. लेकिन हमारा अध्ययन दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन ने इस गरमी की तीव्रता को बढ़ा दिया है. और जलवायु में लगातार हो रहे परिवर्तन से हर साल औसतन तापमान में बढ़ोतरी हो रही है.