अनुकूल मौसम देखकर कराए जाएं चुनाव

नई दिल्ली. महाराष्ट्र के नगरपालिका समेत स्थानीय निकायों के चुनावों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का एक अहम आदेश आया है. सुप्रीम कोर्ट ने बरसात का ध्यान रखते हुए चुनाव मानसून के बाद करवाने की अपील पर सवाल करते हुए पूछा कि जहां बरसात का बहुत ज्यादा असर नहीं होता है, वहां चुनाव करवाने में क्या दिक्कत है? इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने विदर्भ और मराठवाडा में स्थानीय निकायों को चुनाव तुरंत करवाने को कहा है. मुंबई और कोंकण जैसे क्षेत्र जो बरसात से बहुत ज्यादा प्रभावित हैं, वहां नगरपालिका और बाकी स्थानीय निकायों के चुनाव मॉनसून के बाद करवाए जाएं. कोर्ट का यह आदेश ठाकरे सरकार के लिए एक बड़ा झटका समझा जा रहा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया था और हिदायत दी थी कि किसी भी हालत में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी के लिमिट को क्रॉस नहीं कर सकती. इसके बाद राज्य सरकार ने ओबीसी राजनीतिक आरक्षण की पुनर्बहाली की कोशिशें शुरू कीं और यह नीति अपनाई कि जब तक यह नहीं हो जाता तब तक चुनाव की तारीखें आगे बढ़ाई जाएं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी और कार्यकाल खत्म होने के बाद तुरंत चुनाव ना करवाने की नीति को गैरसंवैधानिक बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है, जहां बरसात नहीं वहां चुनाव करवाने में दिक्कत क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जहां बरसात का असर ज्यादा है वहां चुनाव मॉनसून के बाद करवाने की बात समझ में आती है. लेकिन जहां बरसात का असर कम है, वहां चुनाव को टालने का कोई मतलब नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया है कि वह जिलेवार तरीके से स्थितियों की समीक्षा करे और बरसात की स्थिति को ध्यान में रख कर चुनाव की तिथियां तय करे. सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को राज्य चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. मुंबई समेत 14 महापालिकाओं का वॉर्ड स्ट्रक्चर बुधवार, 18 मई को जाहिर होगा.

31 जुलाई के बाद ही प्रत्यक्ष चुनाव कार्यक्रम जारी करना संभव
चुनाव आयोग की दिक्कत यह थी कि अगर कोर्ट के आदेश के मुताबिक भी चलें तो 31 जुलाई के बाद ही प्रत्यक्ष चुनाव कार्यक्रम जारी करना संभव है. इसके बाद अगस्त-सितंबर में बरसात की वजह से चुनाव करवाना मुश्किल है. ऐसे में अक्तू बर में ही चुनाव करवाए जा पाएंगे. इस पर कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि जहां बरसात का असर नहीं है वहां चुनाव करवाएं अभी, जहां बरसात का असर ज्यादा है वहां बाद में चुनाव करवाए जा सकते हैं.

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