गोंदिया।
स्थानिक स्वराज्य संस्था का कार्य करते समय अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कर्मचारी अधिकारी पर अन्याय हुआ तो वह न्यायालय में दौड़ते हैं। कृषि विभाग के विभाग प्रमुख से अनुचित काम होने का काम होने पर उसे भी नागरिक न्यायालय पर खीचते है। इस तरह गोदिया जिले के 10 विभागों के 199 प्रकरण न्यायालय में शुरू है। न्यायालय में शुरू प्रकरणो पर जिला परिषद कैसे शासन निर्णय के अधीन रहकर काम करती है। यह बताने के लिए जिला परिषद ने अपने पैनल पर अधिवक्ताओं की नियुक्ति कर रखी है। जिला परिषद के 10 विभाग की कार्यशैली से नाराज होकर न्यायालय से न्याय की मांग कर की गई है। इसमें सामान्य प्रशासन, पंचायत वित्त पशु सर्वो धन, कृषि बांधकाम, जल संधारण, ग्रामीण जलापूर्ति, स्वास्थ्य व शिक्षण इन 10 विभागों का समावेश है। इसमें सुप्रीम कोर्ट नागपुर में जनसाधारण 1, ग्रामीण जलापूर्ति 2, इस तरह 5 प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में शुरू है। हाईकोर्ट में 71 प्रकरण शुरू है। जिसमें 52 प्रकरण अकेले शिक्षण विभाग के है। स्वास्थ्य विभाग 3, ग्रामीण जलापूर्ति 1, जलसंधारण 4, बांधकाम 4 पंचायत के 4 प्रकरण है। महाराष्ट्र प्रशासकीय न्यायाधिकरण में पशुधन विभाग का 1, जलसंधारण 1, स्वास्थ्य 9 व शिक्षण विभाग का 1 प्रकरण है। औधोगिक न्यायालय में पंचायत के 2 बांधकाम 2, जनसाधारण 4, ग्रामीण जलापूर्ति 2, स्वास्थ्य विभाग के 14 प्रकरण शुरू है। इस तरह कामगार न्यायालय में सामान्य प्रशासन विभाग 1, पंचायत 1, जल साधारण 1, ग्रामीण जलापूर्ति 1, स्वास्थ्य 55, शिक्षा विभाग के साथ प्रकरण दाखिल है। इस क्रम में दीवानी न्यायालय में पंचायत 2, बादकाम 2, जल साधारण 6, ग्रामीण जलापूर्ति 3, स्वास्थ्य 2, शिक्षा विभाग के 4 प्रकरण शुरू है।
शिकायत में स्वास्थ्य विभाग दूसरे नंबर पर-
जिला परिषद गोंदिया के 10 विभागों के के 199 प्रकरण दाखिल किए गए है। सभी प्रकरण न्यायालय में शुरू रहते 199 मे से 94 प्रकरण स्वास्थ्य विभाग के है। उसके बाद शिक्षा विभाग दूसरे क्रमाक पर है। शिक्षा विभाग के 65 प्रकरण, ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के 11 प्रकरण, पंचायत के 9, बांधकाम के 8, जलसाधारण के 7 प्रकरण, पशुसंवर्धन के 4 तथा सामान्य प्रशासन विभाग का 1, प्रकरण शुरू है।
2 विभागों को कोई शिकायत नहीं-
गोंदिया जिला परिषद के वित्त विभाग कृषि विभाग की शिकायत न्यायालय में नहीं की गई हैं। जिससे वर्तमान में इन दो विभाग के शिकायतो के प्रकरण किसी भी न्यायालय में दाखिल नहीं है।