नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून 2020 को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों में तनाव बना हुआ है. दोनों ही देश अपनी अपनी सीमा को और मजबूत करने में लगे हुए हैं. चीन के सामने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए सेना ने रक्षा मंत्रालय के सामने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित 12 स्वाति हथियार खोजने वाले रडार खरीदने का प्रस्ताव रखा है. सेना ने रक्षा मंत्रालय के सामने 1 हजार करोड़ रुपये के स्वाति रडार खरीदेने के प्रस्ताव रखा है. सेना की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर अब उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय की बैठक में विचार किया जाएगा. बता दें कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मिलकर हथियार खोजने वाला रडार का निर्माण किया है. डीआरडीओ के इस रडार को सेना में काफी पसंद किया जा रहा है. हाल ही में इस रडार की आर्मेनिया में भी आपूर्ति की गई है. बता दें कि स्वाति रडार 50 किलोमीटर तक की सीमा पर मौजूद मोर्टार, गोले और रॉकेट का पता चलाने में सक्षम हैं. ये रडार दुश्मन के हथियारों को सबसे तेजी से और सटीक स्थान बनाने में सक्षम हैं. भारतीय सेना चीन से जारी तनाव के बीच अपने अलग अलग अभियानों में रडार का इस्तेमाल करती है. डीआरडीओ की ओर से विकसित इस रडार को साल 2018 में सेना को ट्रायल के तौर पर दिया गया था. बता दें कि नए आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने पहले ही कहा है कि सेना में ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी हथियार होने चाहिए. इसके साथ ही सेना को जल्द ही स्व-चालित आर्टिलरी गन जैसे कई उपकरण भी मिलने की संभावना है. 40 हजार करोड़ का स्वदेशी रक्षा सौदे का हुआ करार थल सेना के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बी. एस. राजू ने हाल ही में कहा कि भारतीय सेना ने रक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी रक्षा निर्माताओं के साथ 40,000 करोड़ रुपये के करार पर हस्ताक्षर किए हैं. लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने सैन्य कमांडरों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अब से ‘आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन)’ केवल स्वदेशी रक्षा निर्माताओं को दी जाएगी.
Sunday, November 24, 2024
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