श्रीलंका की धान की फसल को बचाने के लिए आगे आया भारत

नई दिल्ली : आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका की मदद के लिए भारत एक बार फिर आगे आया है, पड़ोसी मुल्क को लगातार ईंधन की सप्लाई करने के बाद अब भारत श्रीलंका की धान की फसल को बचाने के लिए राहत भेज रहा है, मिली जानकारी के अनुसार भारत ने श्रीलंका को सुनिश्चित किया है कि मौजूदा स्थितियों का असर धान की पैदावर पर न पड़े इसके लिए भारत तुरंत 65 हजार मीट्रिक टन यूरिया की सप्लाई करेगा. श्रीलंका में धान की पैदावार दो सीजन में की जाती है. पहले सीजन के लिए बुवाई मई में शुरू हो जाती है. वहीं दूसरे सीजन में बुवाई सितंबर में शुरू होती है. सितंबर सीजन में धान की फसल पर असर पड़ने की वजह से सरकार के लिए मौजूदा सीजन में धान की फसल का उत्पादन बढ़ना काफी अहम हो गया है. श्रीलंका फिलहाल अपनी आजादी के बाद के सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश में खाने पीने के सामान की किल्लत हो चुकी है. फिलहाल सरकार स्थितियों को पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है जिसमें सबसे अहम है कि देश के खाद्यान्न उत्पादन पर कोई असर न पड़े. इसी वजह सीजन शुरू होने से पहले श्रीलंका सरकार ने जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. जिसमें से एक यूरिया की सप्लाई भी है. कोलंबो की मीडिया में आई रिपोर्ट की माने तो भारत में श्रीलंका के राजदूत ने फर्टिलाइजर सचिव राजेश कुमार चतुर्वेदी से नई दिल्ली में इसी हफ्ते मुलाकात की थी. जिसमें मौजूदा सीजन के लिए फर्टिलाइजर की सप्लाई पर चर्चा हुई थी. श्रीलंका ने एक बयान जारी कर यूरिया की आपूर्ति के लिए भारत को धन्यवाद दिया है. श्रीलंका दूतावास ने बयान में कहा कि भारत सरकार ने देश से यूरिया को निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद श्रीलंका को यूरिया भेजने का फैसला लिया है. वहीं भारत सरकार ने जानकारी दी है कि सरकारी कंपनी के माध्यम से फर्टिलाइजर को जल्द से जल्द श्रीलंका पहुंचाने के प्रबंध किए जा रहे हैं. इसके साथ ही दोनो पक्षों ने भारत के द्वारा श्रीलंका को मौजूदा क्रेडिट लाइन और उसके बाद भी कैमिकल फर्टिलाइजर की सप्लाई के तरीकों पर विचार किया है. भारत आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका को कर्ज, क्रेडिट लाइन और क्रेडिट स्वैप के जरिए जनवरी से अब तक 3 अरब डॉलर तक की मदद दे चुका है. पिछले साल ही श्रीलंका की सरकार ने कैमिकल फर्टिलाइजर पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार की योजना धीरे धीरे पूरी खेती को ऑर्गेनिक में परिवर्तित करने की योजना थी, हालांकि ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर की सप्लाई सीमित रहने से खेती के उत्पादन खासतौर पर चावल और चाय पर बुरा असर पड़ा और उत्पादन घटने से कीमतों में तेजी देखने को मिली. इसके बाद कोविड और रूस यूक्रेन संकट से स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो गईं.और महंगाई दर 47 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. जबकि खाद्य महंगाई करीब 12 प्रतिशत पर पहुंच गई. श्रीलंका सरकार ने बिगड़ती स्थितियां देखते हुए प्रतिबंधों मे धीरे धीरे ढील देने शुरू की है.

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