नई दिल्ली. हैदराबाद में चर्चित दिशा रेपकांड के बाद सभी आरोपियोंं के हुए एनकाउंटर को सुप्रीम कोर्ट की जांच आयोग ने फर्जी करार दिया है. शीर्ष अदालत ने आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की अनुमति दी है और तेलंगाना राज्य की मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि रिपोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने रिपोर्ट की कॉपी को याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करने की अनुमति दे दी है, जिन्होंने मुठभेड़ की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका दायर की है. अदालत ने मामले को वापस तेलंगाना हाईकोर्ट को भी सौंप दिया है. चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने हैदराबाद एनकाउंटर के मामले को देखने के लिए याचिका पर सुनवाई की. जांच आयोग ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी है. वरिष्ठ अधि.श्याम दीवान ने रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने को कहा था लेकिन अदालत ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि रिपोर्ट की प्रति आयोग सचिवालय द्वारा साझा की जानी चाहिए. 12 दिसंबर, 2019 को सुको ने 6 दिसंबर, 2019 को हैदराबाद में चार आरोपियों के कथित एनकाउंटर का कारण बनने वाली परिस्थितियों की जांच के लिए पूर्व एससी जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में एक जांच आयोग के गठन का निर्देश दिया और इसमें बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रेखा बलदोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन को शामिल किया गया था. आरोपियों पर पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को आगे की कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट में भेजने के लिए कहा है.
10 पुलिसवालों पर मुकदमा चलाने की अनुशंसा
इस एनकाउंटर में शामिल 10 पुलिस वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने की अनुशंसा की है. इन 10 पुलिस में शादनगर के एसीपी वी सुरेंद्र, सर्किल ऑफिसर कोंडा नरसिम्हा रेड्डी, सब इंस्पेक्टर के वेंकटेश्वरलू, एसआई शैक लाल मदार, हेड कांस्टेबल मोहम्मद सिराजुद्दीन, हेड कांस्टेबल धर्माकर जनकीराम, पुलिस कांस्टेबल सैदुपल्ली अरविंद गौड़, बालू राठौड़ और देवर शेट्टी श्रीकांत शामिल थे.