नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने को मंजूरी दे दी है। साथ ही सात दिन में आरक्षण के आधार पर अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा कि प्रदेश में कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को ट्रिपल टेस्ट की आधी-अधूरी रिपोर्ट के आधार पर बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संशोधन याचिका दाखिल की थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाकर आरक्षण करने का आदेश दिया गया है। मध्य प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अभी सुनवाई हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने जो आदेश दिया है, उसमें बहुत बड़ी सफलता सरकार को मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने 2022 के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की मांग मान ली है। ओबीसी आरक्षण की मांग को भी मान लिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि एक सप्ताह के भीतर ओबीसी आरक्षण किया जाए। दरअसल, 10 मई के आदेश के बाद मुख्यमंत्री ने विदेश यात्रा रद्द करते हुए संशोधन याचिका दाखिल करने के लिए प्रयास तेज कर दिए थे। इस संबंध में उन्होंने खुद दिल्ली जाकर वरिष्ठ वकीलों से विचार-विमर्श किया था। इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से संशोधन याचिका पर कुछ जानकारी मांगी थी, जिसके आधार पर सरकार ने मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी की निकायवार जानकारी कोर्ट के सामने रखी।
ऐसे मिलेगा आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी सूरत में आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। राज्यवार देखें तो प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 16 फीसदी तथा अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 20 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। इस तरह 36 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं होगा।