केंद्र ने बनाया आरक्षण के मुद्दे को जटिल

नागपुर।(नामेस)।

केंद्र सरकार की वजह से ओबीसी और मराठा आरक्षण का मसला अत्यंत जटिल हो गया है. राज्य के लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि अगर संसद में आरक्षण का मुद्दा उठाए जाने पर ही 50 फीसदी की सीमा हटा दी जाती तो आज विभिन्न समुदायों को आरक्षण प्रदान करना मुश्किल नहीं होता.
यवतमाल जाते समय उन्होंने नागपुर हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत की. उन्‍होंने कहा कि आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र या मराठा और ओबीसी समुदायों तक ही सीमित नहीं है. देश में कई पिछड़ी हुई जातियां आरक्षण के लिए संघर्ष कर रही हैं. इसलिए सभी को आरक्षण की सीमा के बारे में सोचने की आवश्यकता है. मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए यह महाविकास आघाडी की एक ईमानदार कोशिश थी.
इस संबंध में पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. हालांकि याचिका लंबित है, लेकिन यही मराठा समुदाय के पिछड़ेपन को सामने लाने का उपयुक्त समय है. हाल ही में सांसद संभाजी राजे द्वारा अधिकारियों पर की गई आलोचना के बारे में उन्‍होंने कोई बयान देने से मना कर दिया. उन्‍होंने कहा कि सरकार और अधिकारी परिस्थितियों के अनुसार अपना कार्य कर रहे हैं. अतः संभाजी राजे भी मुद्दे को सुलझाने में पहल करें और सहयोग करें, यही हम अपेक्षा करते हैं. चव्हाण ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य में चुनाव का आयोजन करना उचित नहीं होगा.

राउत पर कोई आरोप नहीं

भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा लगाए आरोप निराधार हैं. इसके लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्‍होंने कहा कि वर्तमान में राजनीतिक प्रतिशोध का माहौल है और यह लोकतंत्र के लिए घातक है. बैठक में कांग्रेस मंत्रियों द्वारा ऊर्जा विभाग को लेकर लगाए गए आरोप निराधार हैं. हालांकि अशोक चव्हाण ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तन पर आमूलचूल निर्णय लेने की ज़रूरत है.

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