नागपुर. शहर के 19 श्मशान घाटों के आसपास रहने वाले 77 फीसदी निवासियों को खांसी, गले में खराश, आंखों में जलन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इनमें से अधिकांश श्मशानों में दाह संस्कार के लिए लकड़ी का उपयोग किया जाता है. गट्टू और अन्य दहन सुविधा एवं धुएं के लिए चिमनी की भी व्यवस्था न होन से इसका असर सीधा पास के नागरिकों के स्वास्थ्य पर हो रहा है.
सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सीएफएसडी) ने फरवरी से मई 2023 तक नागपुर में 19 श्मशान घाटों में होने वाले प्रदूषण का सर्वेक्षण किया. हर श्मशान घाट के आसपास रहने वाले नागरिकों से बातचीत की और उन पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने की कोशिश की. इस समय 815 लोगों से बातचीत की गई. इनमें से 77 प्रतिशत लोगों के घर श्मशान से 500 मीटर की दूरी पर स्थित हैं.
इन परिवारों को वायु प्रदूषण सहित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इनमें से 58 प्रतिशत परिवारों के बच्चों की स्कूलें श्मशान घाटों के पास है. उनका कहना है कि स्कूलों के निकट होने वाले श्मशान घाट बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है. सर्वेक्षण के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं में 39 प्रतिशत परिवार वरिष्ठ नागरिकों के साथ रहते हैं, जिन्हें अक्सर अस्पतालों में जाना पड़ता है.
19 में से 8 घाटों पर चिमनियां हैं लेकिन उनमें से केवल 5 ही क्रियाशील हैं और 3 अकार्यक्षम हैं. 11 शवदाह गृहों में चिमनियां नहीं हैं. दाह संस्कार के लिए लकड़ी सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन है. लगभग 12 घाटों में केवल लकड़ी का उपयोग किया जाता है. कोई अन्य वैकल्पिक ईंधन नहीं है.
11 घाटों में जलाऊ लकड़ी निःशुल्क उपलब्ध है. अन्य जगहों पर इसकी कीमत 2800 रुपये प्रति टन है. एक दाह संस्कार के लिए लगभग 300 किलो लकड़ी की आवश्यकता होती है. 19 घाटों में से केवल 6 में गट्टू का विकल्प है. एक दाह संस्कार के लिए लगभग 250 किलो गुट्टू की आवश्यकता होती है. सुझाए गए समाधान प्रत्येक श्मशान को दाह संस्कार का एक विकल्प प्रदान करना चाहि. इसके प्रति जनजागरूकता पैदा की जानी चाहिए. लकड़ी के स्थान पर गट्टू के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. गट्टू के अधिक उपयोग के लिए सभी श्मशान घाटों में अधिक भंडारण की आवश्यकता है.
नियत्रण में रखा जा सकता है प्रदूषण
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सभी श्मशान घाटों में चिमनी लगाई जानी चाहिए. गैर-कार्यशील चिमनियों की मरम्मत की जानी चाहिए. श्मशान और उसके आसपास अनिवार्य हरित बफर का तुरंत पालन करने, श्मशान के आसपास रहने वाले नागरिकों के स्वास्थ्य प्रभावों को समझने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद से एक व्यापक स्वास्थ्य सर्वेक्षण करके उपचारात्मक उपाय विकसित किए जाने से कही हद तक प्रदूषण को रोका जा सकता है.
Sunday, November 24, 2024
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