नागपुर में 17 स्थानों पर पटाखों से लगी आग

नागपुर। दीपावली के तीसरे और मुख्य दिन लक्ष्मीपूजन के मौके पर शहर में विविध क्षेत्रों में आतिशबाजी की गई. इसके चलते शहर के विभिन्न इलाकों में 17 स्थानों पर आग लगने की घटनाएं हुर्इं. सौभाग्य से इन घटनाओं में कोई जन-हानि नहीं हुई, मगर आग से लाखों का नुकसान ज़रूर हो गया.
अधिकांश स्थानों पर कचरे के ढीग में आग लगी है. अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों की सतर्कता के कारण कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हो पाई और सर्वत्र आग पर नियंत्रण पाया जा सका.
दीपावली पर हर साल लक्ष्मी पूजन के दिन पटाखे फोड़े जाते हैं. इसके चलते आग लगने की घटनाएं भी होती हैं. इस दफा पटाखे फोड़ने के लिए रात 8 से 10 बजे तक की सीमा रखी गई थी, मगर लोगों ने देर रात तक पटाखे फोड़े. इसके चलते शहर के विभिन्न इलाकों में 17 स्थानों पर आग लगने की सूचना अग्निशमन दल को मिली. इसमें शहर के त्रिमूर्ति नगर में 3, लकड़गंज में आग लगने की 2 घटनाएं घटीं. गंजीपेठ, कॉटन मार्केट, सुगत नगर, वैशालीनगर, महल परिसर में भी आग लगने की घटनाएं घटीं. शंकरनगर के दंडिगे ले आऊट के एक सभागृह के टेरेस पर आग लगी. सुगतनगर में महानगरपालिका की स्कूल से सटे कचरे के ढेर में आग लग गई. यहां पर आग फैलने से पहले ही उस पर नियंत्रण पा लिया गया.
गणेशपेठ में कुंभलकर महाविद्यालय से सटे मुकेश झोपाटे के घर में आग लगी, मगर यहां पर अग्निमशन विभाग ने तत्काल आग पर काबू पा लिया.
अग्निशमन दल के अनुसार शहर में कहीं से भी किसी जन-हानि की कोई खबर नहीं है. आग लगने की अधिकांश घटनाएं शाम 6 बजे के बाद ही हुर्इं, जिसके चलते अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों को आग पर काबू पाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी.
पटाखों से जले 11 लोग,
4 बच्चे भी शामिल
नागपुर। दीपावली पर फोड़े गए पटाखों से जख्मी होकर 11 मरीज नागपुर के शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व रुग्णालय (मेडिकल) में इलाज के लिए पहुंचे. इसमें 11 साल से नीचे के 4 मरीजों का समावेश है.
नागपुर में दीवाली का त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. रविवार को दीपावली के मौके पर शहर के हर इलाके में घरों को सजाया गया. पटाखे फोड़े गए. पटाखों से आंखों, शरीर के अन्य हिस्सों और कानों में नुकसान हुआ है. मेडिकल अस्पताल में आए 11 मरीजों में 8 से 11 साल के 4 बच्चों का भी समावेश था. इसमें से कुछ तो पटाखों से जल भी गए थे. इलाज के बाद अधिकांश मरीजों को छुट्टी दे दी गई. अधिकांश लोगों ने निजी अस्पतालों की भी सेवा ली.

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