26 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के गर्भपात पर 2 जज बंटे!

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को 26 हफ्ते की प्रेग्नेंट शादीशुदा महिला के अबॉर्शन केस में दोनों जजों की राय अलग रही। जस्टिस हिमा कोहली प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन जस्टिस बीवी नागरत्ना उनसे सहमत नहीं थीं। दोनों जजों के बीच असहमति को देखते हुए मामले को बड़ी बेंच के पास रेफर कर दिया गया है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नई मेडिकल रिपोर्ट को लेकर नाराजगी जाहिर की। बेंच ने कहा कि अब इस रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि 26 हफ्ते के भ्रूण के जीवित रहने की काफी संभावना है।
उन्होंने पूछा कि अगर डॉक्टर पिछली रिपोर्ट के सिर्फ दो दिन बाद ही इतने स्पष्ट तरीके यह बात रख सकते हैं तो पिछली रिपोर्ट विस्तृत और साफ क्यों नहीं थी? इस रिपोर्ट को देखकर कौन सा कोर्ट कहेगा कि भ्रूण की धड़कन रोक देनी चाहिए।
पिछली सुनवाई में दोनों जजों ने दी थी अबॉर्शन की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने 9 अक्तूबर की सुनवाई में 27 साल की महिला को अनचाहे गर्भ को अबॉर्ट करने की अनुमति दी थी। महिला ने कोर्ट को बताया था कि वह दो बच्चों की मां है और डिप्रेशन से जूझ रही है। उसने अपने मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक पहलुओं का हवाला देते हुए कहा कि वह तीसरा बच्चा पालने की स्थिति में नहीं है।
कोर्ट ने महिला को 10 अक्तूबर को एम्स के गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट में जाने को कहा था और एम्स के डॉक्टरों को निर्देश दिया था कि महिला का चेकअप करके जल्द से जल्द उसकी प्रेग्नेंसी टर्मिनेट कर दी जाए। लेकिन, डॉक्टरों ने मंगलवार शाम जानकारी दी कि भ्रूण के जीवित रहने की संभावना है, जिसके बाद कोर्ट ने इस आदेश को वापस ले लिया।
मंगलवार को सीजेआई के पास मामला लेकर पहुंची थी केंद्र सरकार
मंगलवार को एम्स के एक मेडिकल बोर्ड ने भ्रूण की जांच की और बताया कि भ्रूण में जिंदा बचने की संभावना है। प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने के लिए पहले भ्रूण की धड़कन रोकनी होगी और इसके लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की जरूरत है। इसके बाद एडीजी ऐश्वर्य भाटी सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच के पास पहुंचे।
एडीजी ने उन्हें बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 अक्तूबर को जो जजमेंट दिया था, वह एम्स की नई रिपोर्ट के अनुसार नहीं है। भ्रूण जिंदा बच सकता है और अगर प्रेग्नेंसी टर्मिनेट की जाती है, तो इसे मर्डर कहेंगे। सीजेआई ने मामले पर चिंता जताते हुए बुधवार (10 अक्तूबर) को नई बेंच गठित करने का आदेश दिया।

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