इस साल मच्छर जनित बीमारियों में 23 फीसदी इजाफा

मुंबई. राज्य में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष डेंगू बीमारी से ग्रसित होने वालों की संख्या में 23 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस वर्ष जनवरी से सितंबर तक 10553 लोगों को डेंगू ने अपनी गिरफ्त में लिया है, जबकि पिछले वर्ष डेंगू के 8578 मामले मिले थे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मौजूदा मौसम के कारण मामलों में और भी इजाफा हो सकता है। राज्य में मच्छर जनित रोग के मामलों में मुंबई हॉट स्पॉट बन गया है। सबसे अधिक मामले मुंबई से ही रिपोर्ट हो रहे हैं। राज्य में इस साल मानसूनी बीमारियों ने लोगों के स्वास्थ्य को काफी प्रभावित किया है। खासकर मच्छर जनित रोग जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की चपेट में लोग आए हैं। राज्य में डेंगू और मलेरिया बीमारी से अब तक 20 हजार से अधिक लोग ग्रसित हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 28 सितंबर तक डेंगू के 10553 मामले रिपोर्ट हुए हैं, जबकि इस दौरान मलेरिया के 10978 मरीज मिले हैं। पिछले साल मलेरिया के 15451 मामले सामने आए थे। राज्य स्वास्थ्य विभाग के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. प्रताप सिंह सारणीकर ने बताया कि इस बार डेंगू के सबसे अधिक मामले मुंबई में 3556, ठाणे में 704 और नासिक में 606 रिपोर्ट किए गए, जबकि मलेरिया के मुंबई में 4554, गडचिरोली में 4525 और ठाणे में 659 रिपोर्ट हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, मुंबई में इस बार रिपोर्टिंग यूनिट्स बढ़ाए जाने के कारण अधिक मामले सामने आए हैं। राज्य में मौजूदा मौसम भी मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल बना हुआ है। चिकनगुनिया के मामलों में भी मुंबई टॉप पर है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, चिकनगुनिया के इस वर्ष 771 मामले रिपोर्ट हुए हैं, जिनमें से मुंबई में 159, कोल्हापुर में 125 और पुणे में 80 मामले मिले हैं।
राज्य में कुल 35 मौतें दर्ज
राज्य में मानसूनी बीमारियों के कारण अब तक कुल 35 मौतें दर्ज की जा चुकी है। इन्फ्लूएंजा ए से 18, लेप्टोस्पायरोसिस से 8, डेंगू से 2, मलेरिया से 6 और कॉलरा से 1 मरीज की मौत हुई है।
रुक-रुक कर बारिश ने बढ़ाई परेशानी
एक्सपर्ट्स के अनुसार, मुंबई सहित राज्य में बारिश की आंख मिचौली मच्छर जनित बीमारियों को बढ़ावा देने का प्रमुख कारण रही। रुक-रुककर हो रही बारिश के कारण कंस्ट्रक्शन साइट, निर्माणाधीन इमारतों के आसपास के क्षेत्र में जल जमाव हुआ। ऐसी जगहें मच्छरों के लिए ब्रीडिंग स्पॉट बन जाती हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए घरों और सोसाइटियों में ड्रम, पानी की टंकियों आदि की जांच करने का काम बीएमसी को जिस गति से करना चाहिए था, वह नहीं हो सका। फॉगिंग और दवा का छिड़काव जितना किया जाना चाहिए था, वह भी नहीं हुआ।

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