मंदिर-मंदिर द्वारे-द्वारे घूम रहे ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक,

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने जी-20 सम्मेलन के लिए नई दिल्ली आने से पहले ही ट्वीट कर दिया था, कि वे आस्थावान हिंदू हैं. वे पिछले साल 24 अक्तूबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे. कंजर्वेटिव पार्टी ने 24 अक्तूबर 2022 को उनके नाम की घोषणा की थी. उसी दिन दीपावली का पर्व था. इसीलिए तब पत्रकार परवेज आलम ने ट्वीट किया था कि दिवाली के रोज इससे बड़ा गिफ़्ट भला क्या हो सकता है!
इन ऋषि सुनक ने बेहाली, बदहाली और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहे ब्रिटेन को विकसित देशों की पांत में लाने के लिए दिन-रात एक कर रखा हुआ है. लेकिन इसके लिए चाहिए विनिवेश, जो उन्हें किसी देश से नहीं मिल रहा. सैन्य ताकत और लक्ष्मी की शक्ति, दोनों से ब्रिटेन दूर है. वह ब्रिटेन जो 200 साल तक दुनिया का बादशाह रहा और जिसके राज में सूरज नहीं डूबता था, वह आज फटेहाली की कगार पर है.
चुनौतियों से निपटने में जुटे पीएम सुनक इन चुनौतियों से निपटने के लिए वहां के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक लगे तो हुए हैं, किंतु सफलता उनके हाथ नहीं लग रही. शायद इसलिए उन्होंने हिंदू दांव चला है. आज सभी को पता है, कि विश्व में भारतीय डायसपोरा आज काफी ताकतवर है. भारतीय पूंजीपति और उद्यमी अपने कौशल एवं उद्यम से दुनिया के टॉप अमीरों में शामिल हैं. वे यदि ब्रिटेन में पूंजी निवेश करें तो यकीनन ब्रिटेन योरोपीय देशों के बीच अपनी नाक तो बचा लेगा. इसके अतिरिक्त भारत सरकार ब्रिटेन से और समान आयात करे ताकि ब्रिटेन की गिरती हुई अर्थव्यवस्था संभल सके.मालूम हो कि ऋषि सुनक के पहले लिज ट्रस को तो प्रधानमंत्री पद का शपथ ग्रहण करने के कुछ दिनों के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा था. पिछले वर्ष छह सितंबर को लिज प्रधानमंत्री बनीं और 20 अक्टूबर को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उनका दुर्भाग्य कि उनकी नियुक्ति के दो दिन बाद ही महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु के कारण उनका शपथ ग्रहण टल गया था. और जैसे ही शपथ ग्रहण संपन्न हुआ, वे अल्पमत में आ गईं. रूस-यूक्रेन संकट के चलते नाटो संधि में फंसे सारे यूरोपीय देश आजकल बदहाली झेल रहे हैं. बस जर्मनी की ही आर्थिक स्थिति ठीक है. बाकी के जितने भी बड़े देश हैं, उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है. ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी ने ऋषि सुनक के नाम की घोषणा भी इसलिए की थी कि ऋषि सुनक का हिंदू और भारतवंशी होना भारतीयों को आकर्षित करेगा. पत्नी संग नंगे पांव, मंदिर में पूजा शायद इसीलिए ऋषि सुनक बार-बार खुद के हिंदू होने, भारत में उनकी ससुराल होने की बात जोर-शोर से कर रहे हैं. वे जी 20 सम्मेलन के अगले रोज 10 सितंबर को दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में गए. उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी उनके साथ थीं. वे नंगे पांव मंदिर पहुंचे और पूजा की.सुनक का फोकस गुजरात पर!ऋषि सुनक द्वारा बार-बार हिंदू होने की बात करना और एक आस्थावान हिंदू होने का दिखावा सिर्फ गुजरात तक सीमित है. मसलन वे दिल्ली आ कर अक्षरधाम मंदिर गए, लेकिन लुटियन जोंस में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर का रुख नहीं किया. इसी तरह वे मुरारी बापू की कथा में गए थे मगर ब्रिटेन में होने वाले अन्य भारतीय क्षेत्रों के मंदिर या उनके धार्मिक समारोह में वे नहीं जाते. उनकी पत्नी अक्षता के पिता नारायण मूर्ति दक्षिण भारतीय हैं. दुनिया में दक्षिण भारतीय हिंदुओं के मंदिर सब जगह हैं. उनकी पूजा पद्धति और उनके त्योहार थोड़े भिन्न हैं. यह भिन्नता उनके मंदिरों में भी दिखती हैं. लेकिन हैं वे भी हिंदू और उतने ही कि जितने कि अन्य भारतीय हैं. लेकिन ऋषि सुनक वहां नहीं जाते. उनका पूरा फोकस गुजरात पर है. शायद इसलिए भी कि विदेश में बसे गुजराती ही समृद्ध हैं और अधिकतर व्यवसायी हुए हैं. अहम कारण यह भी है, कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजराती हिंदू हैं.ब्रिटेन को मंदी से उबारने की जिम्मेदारी जी-20 मीटिंग में आने पर उन्होंने यह अवश्य कहा, कि वे किसी भी तरह की उग्रवादी हिंसा के खिलाफ हैं. यह बात उन्होंने तब कही, जब उनसे खालिस्तानी उग्रवादियों के बाबत पूछा गया था. इसमें कोई शक नहीं कि निजी तौर पर उनका परिवार प्राउड हिंदू रहा है. ऋषि सुनक के दादा पश्चिमी पंजाब के गुजरांवाला से 1935 में केन्या चले गए थे. गुजरांवाला तब ब्रिटिश भारत का हिस्सा था. ऋषि के पिता यश सुनक का जन्म वहीं हुआ. जबकि उनकी मां उषा के माता-पिता तंजानिया में रहते थे.

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