अंतरराष्ट्रीय हिंदी शिक्षकों का अभिविन्यास कार्यक्रम सफल

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.कारुण्यकरा ने कहा है कि इस अभिविन्यास कार्यक्रम में केवल कक्षा शिक्षण ही नहीं अपितु सांस्कृतिक पहलुओं से भी जोड़ने का यत्न किया है. दुनियाभर के 22 देशों से आए शिक्षक सांस्कृतिक दूत हैं. आपके अनुभव से हम हिंदी को विश्व पटल पर ले जाने में कामयाब हो सकेंगे. प्रो.कारुण्यकरा शनिवार को महादेवी वर्मा सभागृह में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी शिक्षकों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे.
विश्वविद्यालय और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली (आईसीसीआर) के बीच हुए एक स्थायी अनुबंध के अंतर्गत 12 दिनों का अभिविन्यास कार्यक्रम 7 से 19 अगस्त तक आयोजित किया गया, जिसमें दुनियाभर के 22 देशों के 34 शिक्षकों ने सहभागिता की. इस अवसर पर आईसीसीआर के महानिदेशक कुमार तुहिन, अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी सलाहकार प्रो.हनुमान प्रसाद शुक्ल, कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान, कार्यक्रम के समन्वयक प्रो.कृष्ण कुमार सिंह मंचासीन थे.
अंतरराष्ट्रीय पटल पर हिंदी की महत्ता को रेखांकित करते हुए कुमार तुहिन ने कहा कि विभिन्न 22 देशों से आये प्रति‍भागी हिंदी शिक्षण और भारतीय संस्कृति से रूबरू हो सके. आप अपने अंदर भारत के एक अंश को लेकर जाएं ताकि आपके देश और भारत के बीच मैत्री और भी प्रगाढ़ हो सके.
फिजी की प्रतिभागी सुभाषिनी लता कुमार ने कहा कि भारत के अतिथिदेवो भव: की भावना का साक्षात दर्शन करने का अवसर यहां पर मिला है. ईरान की फ़रज़ाने अज़म लुतफ़ी ने जय ईरान और जय भारत का उद्घोष किया. लंदन की प्रवीन रानी ने कहा कि यहां भाषा शिक्षण और सांस्कृतिक यात्रा बेहद सुखदायी रही. हमें हिंदी भाषा और अपनी सांस्कृतिक पहचान को न केवल बचाये रखना है बल्कि इसे नयी पीढ़ी में भी संचारित करना है ताकि हम एक शख्श नहीं अपितु शख्शियत बनकर जियें.
इस अवसर पर कुलपति प्रो.कारुण्यकरा तथा आईसीसीआर के महानिदेशक कुमार तुहिन ने कजाकिस्तान के डॉ.बोकुलेवा बोता, थाईलैंड की डॉ.पद्मा सवांगश्री, शशशिरि सुवर्णदिव्य, इजिप्ट की मर्वा लुतफ़ी, ताजिकिस्तान के डॉ.अहतमशाह यूनुसी और डॉ.लतिफ़ोव अलिख़ोन, गयाना के मुनीश्वर रूप, घनश्याम प्रसाद, धनपाल मो‍हन, खेमराज प्रसाद, सूरीनाम के किशन फि़रतू, फिजी की डॉ.सुभाषिनी लता कुमार, भागीरथी भान, ईरान की डॉ.फ़रज़ाने अज़म लुतफ़ी, भूटान की अर्चना ठाकुर, वियतनाम की गूयसेन थी यू हा, मलेशिया की यामिनी जोशी, श्रीलंका की नीलंती कुमारि राजपक्ष और मदारा सेव्वुन्दी, हंगरी के डॉ.बैंआता ककरा, जर्मनी के डॉ.राम प्रसाद भट्ट, अंजना सिंह, म्यांमार की रीता कुमारी वर्मा, नेपाल की अंशु कुमारी झा और मुकेश कुमार मिश्र, उज्बेकिस्तान की दिलदोरा नोसिरोवा और दजोरायेवा मुखब्बता, इंग्लैंड की इन्दु बारौठ और प्रवीन रानी, रूस के दिमित्रि बोबकोव, तंजानिया की सविता अशोक मौर्य, दक्षिण अफ्रीका की सिसिलिया लोपीस और राकेश छेदी को प्रमाण पत्र एवं विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न प्रदान किया.
अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी सलाहकार प्रो.हनुमान प्रसाद शुक्ल ने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की पहल पर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन हिंदी शिक्षण के अकादमिक प्रबंधन का दायित्व विश्वविद्यालय को मिला है. भाषा और संस्कृति को समान महत्व देते हुए यहां अभिविन्यास कार्यक्रम संचालित किया गया. चालन तथा कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान ने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो. दीनबंधु पांडेय, विश्वविद्यालय के डॉ. बंसीधर पांडेय, जनार्दन तिवारी, डॉ. जयंत उपाध्याय, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. सुरजीत कुमार सिंह, डॉ.अनवर सिद्दीकी, डॉ.अनिल दुबे, डॉ.शैलेश मरजी कदम, डॉ.राजीव रंजन राय, डॉ. श्रीनिकेत मिश्र, डॉ.सूर्यप्रकाश पांडेय, राजेश यादव, डॉ.अमित विश्वास सहित अध्यापक, कर्मी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
अभिविन्यास कार्यक्रम में विभिन्न देशों से आए शिक्षकों को भाषा शिक्षण, हिंदी भाषा संरचना, हिंदी का अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य, भारतीय साहित्य, संस्कृति, रामायण, महाभारत, कुटुंब व्यवस्था एवं विवाह संस्कार, भारतीय शिक्षा प्रणाली, योग, कला, ज्ञान परंपरा आदि विषयों से परिचित कराया गया. कार्यक्रम के अंतर्गत, अजंता और एलोरा के साथ-साथ रामटेक और बापू कुटी का सांस्कृतिक भ्रमण भी कराया गया.

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