यमराज की ससुराल का हेमाडपंथी शिवमंदिर

पुरातन महत्व प्राप्त शहर सरस्वतपुर जो आज सावनेर के नाम से जाना जाता है, यह कोलार नदी के तट पर स्थित है. भव्य हेमांडपंथी मंदीर तथा परिसर श्रावण मास के पावन पर्व पर शिवभक्तों की भीड़ उमडती है. मराठी श्रावण का पहला सोमवार तथा इसी दिन नागपंचमी होने से शिवभक्त चराचर में वास करने वाले भगवान शिव का दर्शन तथा आराधना करने को आतुर है.
‘जैमिनी अश्वमेघ’ इस पौराणिक ग्रंथ के अनुसार यमराज का ससुराल सावनेर यह ऐतिहासिक व पौराणिक नगरी सारस्वतपुर है. व्दापर युग में महाभारत युध्द के उपरांत पांडवों ने दिग्विजय के लिए छोड़ा गया शामकर्ण नामक अश्व उत्तर भारत से दक्षिण की ओर जाते हुए सावनेर नगरी के सिमा में पहुंचे पर तत्कालीन राजा विरकर्मा के पुत्रों ने उसे रोक कर पांडवों को युध्द के लिए ललकारा और पांचों पुत्र उस युध्द में विरगती को प्राप्त होने पर राजा विरकर्मा की पुत्री मालिनी जो की शिवभक्त थी. उसने युध्द को जारी रखते हुए पांडव सेना में भगदड़ निर्माण कर तहस-नहस कर दी. यह वु्त्तांत नारद मुनि द्वारा भगवान श्रीकु्ष्ण को पता चलने पर उन्होंने खुद मध्यस्थता कर इस युद्ध को रूकवाकर शिवभक्त मालिनी का विवाह यमराज से करवाया. कोलार नदी के तट पर आज भी शिवभक्त मालिनी द्वारा तयार किया गया बालू का शिवलिंग और उस पर हेमांडपंथी करगिरों द्वारा भव्य निर्माण किया हुआ मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र बना हुआ है यहा की हुयी हर मनोकामना भोलेनाथ यथाशीघ्र पूर्ण होती है ऐसी आस्था प्रचलित है.
श्रावण मास, नागपंचमी, महाशिवरात्रि के पावन पर्व हर वर्ष शिव मंदिर देवस्थान ट्रस्ट द्वारा, अभिषेक, रुद्राभिषेक, रामायण, महाभारत, भागवत गीता आदि का भव्य आयोजन कर हर त्योहार को महाउत्सव के रूप में मनाया जाता है. किन्तु कोविड़ संक्रमण के सभी दिशानिर्देशों में पुर्णतः शिथलता आने की वजह से इस श्रावण मासके आयोजन सावनेर तहसील ही नहीं तो संपूर्ण विदर्भ से पधारे हजारों हजार शिवभगतों की उपस्थिति इस आयोजन को विशाल मेले मे परिवर्तीत करता है. महोत्सव के लिए मंदीर परिसरको अत्यधिक रोशनाईसे से सजाया जाता है.शिवमंदिर की रोशनाई के प्रतिबिंब को करीब से बहने वाली कोलार नदी के जल में देखने का आनंद श्रध्दालुओं को अपने ओर आकर्षित करता है.
तो वही इस हेमाडपंथी शिवमंदिर के और दो विशेष आयोजन है जीन में श्रावण मास मे होणेवाले सात दिवसीय सप्ताह में सात दिनों तक इस मंदिर का घंटा निरंतर बजता है और दुसरा आयोजन हर सप्ताह के मंगलवार को पुरातन शिवलिंग के विभिन्न फुल तथा रुद्राक्षों से श्रृंगार श्रद्धालुओं को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर परिसर में सैकड़ों खंडित मुर्तीया भी है जिन्हे औरंगजेब के शासनकाले तोडी जानेकी बात कही जाती है. शिव मंदिर देवस्थान ट्रस्ट द्वारा श्रावण मास व नागपंचमी के अवसर पर आयोजित होम हवन, महाप्रसाद वितरण आदि के आयोजन के लिए ट्रस्ट के अध्यक्ष नरसिंग हजारी, सचिव लोकेश सेवके, विश्वस्त किशोर पटेल, अँड्.चंद्रशेखर बरेठीया, अँड् भूपेंद्र पुरे, मनोज बसवार, आत्माराम कमाले, नामदेव सावजी, श्रीकीशन मेंहदोलेआदी परिश्रम ले रहे है.

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