चूंकि तालुका के चिंचखेड़ा में जिला परिषद प्राथमिक विद्यालय में केवल एक शिक्षक है, इसलिए इस शिक्षक को चार कक्षाओं का प्रबंधन करना पड़ता है। इस वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई है। इससे पहले चिचखेड़ा के जिला परिषद स्कूल में दो शिक्षक थे, जिनमें से एक सेवानिवृत्त हो गया था। अब केवल एक शिक्षक चार कक्षाओं के छात्रों को कसाबासा सिखा रहा है। ग्रामीणों, ग्राम पंचायत ने जिला परिषद, पंचायत समिति से एक शिक्षक की मांग की, लेकिन ग्रामीणों की मांग को प्रशासन ने नहीं माना।
उस स्कूल को अभी तक एक शिक्षक नहीं दिया गया है। शिक्षकों के अभाव में अभिभावक अपने बेटे-बेटियों को दूसरे गांव के स्कूल में पढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ माता-पिता ने अपने बेटे को मोहाडी के स्कूल में भी दाखिला दिलाया है। इसलिए यहां स्कूल में केवल 33 छात्र पढ़ रहे हैं। एक शिक्षक होने के नाते छात्रों को सही तरीके से नहीं पढ़ाया जाता है। नतीजतन छात्र की पढ़ाई बाधित हो रही है। सरकार शिक्षा पर ज्यादातर पैसा खर्च करती है, छात्रों को पोषण आहार, मुफ्त किताबें, मुफ्त स्कूल वर्दी, मुफ्त यात्रा, साइकिल और अन्य सुविधाएं देती है। लेकिन स्कूल को शिक्षक उपलब्ध कराने और स्कूल को अन्य सुविधाएं प्रदान करने का काम ही काम है। उस व्यवस्था के खुद ढीले होने और पैसे खाने की वजह से गांव के जिला परिषद के स्कूल जर्जर हो चुके हैं।
कुछ स्कूल बंद होने के कगार पर हैं। शिक्षा अधिकारी, केंद्र के मुखिया, प्रधानाध्यापक, शिक्षक केवल एकमुश्त वेतन लेने का काम कर रहे हैं। वरिष्ठों का शिक्षकों पर कोई नियंत्रण नहीं था। इसलिए शिक्षा का खेल खंडोबा बन गया है। चूंकि चिचखेड़ा के स्कूल में यहां के स्कूल में शिक्षक देने की मांग सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत बंते ने ग्रामीण विकास मंत्री, शिक्षा अधिकारी को पत्र के माध्यम से की है।
Sunday, November 24, 2024
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