कालिदास संस्कृत विवि में पाण्डुलिपि सूचीकरण व संरक्षण कार्यशाला

कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय का पांडुलिपि संसाधन केंद्र (MRC) पिछले सत्रह वर्षों से राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, नई दिल्ली के अधिकार के तहत विदर्भ और महाराष्ट्र में प्राचीन साहित्य के भंडार के रूप में जानी जाने वाली पांडुलिपियों का अनुसंधान और सूचीकरण कर रहा है। विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. मधुसूदन पेन्ना की अवधारणा और मार्गदर्शन के साथ, उक्त कार्यक्रम को साकार करने के लिए संगठन राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन नई दिल्ली के समन्वय में 7 और 8 अक्टूबर, 2022 को दो दिवसीय पांडुलिपि सूचीकरण और संरक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया था। उक्त कार्यशाला में 24 पांडुलिपि कैटलॉग, विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त संस्कृत विशेषज्ञ, विश्वविद्यालय के शोध छात्र और कुल 40 प्रशिक्षु शामिल थे। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की ओर से प्रशिक्षुओं का मूल्यांकन किया गया और प्रमाण पत्र वितरित किए गए। उक्त कार्यशाला में गुरुकुल विश्वविद्यालय के आचार्य/एमए, शास्त्री आदि कक्षाओं के 35 विद्यार्थियों ने पूर्णकालिक रूप से भाग लिया।
कार्यशाला का उद्घाटन सात अक्टूबर को उपकुलपति प्रो. मधुसूदन पेन्ना ने कीया। राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन नई दिल्ली संस्थान के विषय विशेषज्ञ प्रशिक्षकों के रूप में डॉ. सरवरुल हक, डॉ. अवधकिशोर चौधरी और आचार्य रामवतार शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे। रजिस्ट्रार डॉ. रामचंद्र जोशी, इस कार्यक्रम में गोलवलकर गुरुजी परिसर के निदेशक प्रसाद गोखले के अलावा प्रो. हरेकृष्ण अगस्ती की विशेष उपस्थिति रही.
परिचयात्मक कार्यशाला समन्वयक डॉ. राजेंद्र जैन ने कहा, “वर्तमान कार्यशाला का आयोजन उपकुलपति द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा है और उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन मौलिक है।” कार्यशाला के प्रशिक्षण प्रारूप की जानकारी डॉ. सरवरुल हक ने दी। कार्यक्रम अध्यक्ष एवं उपकुलपति प्रो. पेन्ना ने अपने अध्यक्षीय भाषण में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के संगठन की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की। उन्होंने विश्वविद्यालय के निमंत्रण को स्वीकार कर कार्यशाला आयोजित करने के लिए निदेशक (राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन) और उनकी टीम को भी दिल से धन्यवाद व्यक्त किया। रजिस्ट्रार डॉ. रामचंद्र जोशी ने गणमान्य व्यक्तियों के साथ-साथ उपस्थित लोगों को धन्यवाद दिया।
उद्घाटन सत्र के बाद, कुल छह सत्रों में पांडुलिपि सूचीकरण और संरक्षण पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया, पहले दिन तीन और दूसरे दिन तीन। प्रथम सत्र में डॉ. सरुल हक ने भारत में पांडुलिपियों की विरासत विषय पर गहन मार्गदर्शन दिया।इस बीच, उपस्थित लोगों ने जिज्ञासा से असंख्य प्रश्न पूछे।
दूसरे और तीसरे सत्र में क्रमश: डॉ. अवध किशोर चौधरी और आचार्य रामावतार शर्मा ने एनएमएम के पोर्टल पर ऑनलाइन दस्तावेजीकरण कैसे करें पर एक प्रदर्शन प्रस्तुत किया।
दूसरे दिन चौथे सत्र में विषय विशेषज्ञ डॉ. मृदुला काले ने पाण्डुलिपियों के विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रलेखन करते समय उपयोगी लिपियों की शुरुआत की।
पांचवे सत्र में डॉ. सरूल हक ने पाण्डुलिपि संरक्षण विषय पर पिपिटी का मार्गदर्शन किया। साथ ही राय व्यक्त की कि विश्वविद्यालय के एमआरसी क्षेत्र में पांडुलिपियों का संरक्षण और संरक्षण अनिवार्य है।
छठे सत्र में सभी विषय विशेषज्ञ प्रशिक्षुओं का मूल्यांकन एवं मूल्यांकन ऑनलाइन दस्तावेज पर किया गया।
कार्यशाला के दौरान विषय विशेषज्ञ टीम ने विश्वविद्यालय के पांडुलिपि पुस्तकालय के साथ-साथ नागपुर विश्वविद्यालय के पांडुलिपि पुस्तकालय का दौरा किया और तथ्यों का निरीक्षण किया।
अंतिम सत्र में प्रो. हरेकृष्ण अगस्ती ने कार्यशाला की अध्यक्षता की और प्रमाण पत्र वितरित किए। कार्यक्रम का समापन शांति मंत्र से हुआ।

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