दोनों कानों में बधिर पैदा हुए बच्चों पर कर्णावर्त प्रत्यारोपण सर्जरी पद्मश्री डॉ. मिलिंद कीर्तने के मार्गदर्शन में सावंगी मेघे के आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल में कि गयी. अस्पताल के कान, नाक और गले विभाग द्वारा कर्णावत प्रत्यारोपण कार्यक्रम के तहत सर्जरी सफलतापूर्वक की गई।
जन्म से बहरे चार साल के बच्चों को मार्च माह में सावंगी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चूंकि ये बच्चे अपने कानों से नहीं सुन सकते थे, इसलिए इन बच्चों में बोलने की क्षमता भी विकसित नहीं हुई थी। लेकिन विभिन्न परीक्षणों के बाद, बच्चों का कर्णावत प्रत्यारोपण से इलाज संभव है, यह जानने के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के जाने-माने कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जन डॉ. मिलिंद कीर्तने को आमंत्रित किया गया था। डॉ. कीर्तने ने अब तक 2,300 से अधिक कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की हैं और इम्प्लांट ट्रेनर के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। इस सर्जिकल प्रक्रिया में डॉ. सावंगी अस्पताल के कान, नाक और गले विभाग के प्रमुख डॉ. देशमुख, प्रो. डॉ. श्रद्धा जैन, डाॅ. सागर गोलकर, डॉ. चंद्रवीर सिंह, डाॅ. आशीष दिसवाल, डाॅ. अर्जुन पणिकर, डॉ. आदित्य रंजन, डॉ. अजिंक्य संदभोर, डॉ. वैदेही हांडे, डॉ. मिथिला मुरली, डॉ. मनीषा दास, डाॅ. ऐश्वर्या विजयप्पन, डॉ. सेनु सन्निचन, डॉ. जसलीन कौर, डाॅ. आयुषी घोष, डॉ. निमिषा पाटिल, डॉ. स्मृति वाधवा, स्पीच थेरेपिस्ट किरण कांबले, ऑडियोलॉजिस्ट प्रियता नाइक, महेंद्र रहाटे, संजय कराले ने भाग लिया।
कर्णावर्त प्रत्यारोपण उपचार ने इन बच्चों के लिए मौखिक भाषा सीखना आसान बना दिया है। नतीजतन, ये बच्चे न केवल सुन सकेंगे, बल्कि अगले ढाई से तीन साल में स्पीच थैरेपी के कारण सामान्य बच्चों की तरह ठीक से बोल भी सकेंगे ऐसा प्रसाद देशमुख ने कहा। दत्ता मेघे आयुर्वियन अभिमत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. डॉ राजीव बोर्ले, कुलपति। ललित वाघमारे, संस्थापक डॉ. अभय मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. चंद्रशेखर महाकालकर, विशेष कार्य अधिकारी डॉ. अभुदय मेघे का बहुमूल्य समर्थन और मार्गदर्शन मिला।