आजादी के पहले से चली आ रही प्रक्रिया

नई दिल्‍ली. अग्निपथ योजना के तहत जाति प्रमाण पत्र मांगने को लेकर उठे सवालों पर अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद सामने आए हैं। उन्होंने इन सवालों को महज अफवाह बताया है। राजनाथ सिंह ने कहा, सैन्य भर्ती की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पुरानी प्रक्रिया को ही जारी रखा गया है। उन्होंने कहा, यह प्रक्रिया आजादी के पहले से चली आ रही है। दरअसल, अग्निपथ योजना के लिए जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सियासत शुरू हो गई थी। भाजपा सांसद वरुण गांधी, आप सांसद संजय सिंह व जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सैन्य भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सवाल खड़े किए हैं। सैन्य भर्ती में जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सेना ने भी सफाई दी है। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि अग्निपथ योजना के तहत सैन्य भर्ती प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहले भी जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगा जाता रहा है। सैन्य भर्ती में धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सेना के एक अधिकारी ने कहा कि प्रशिक्षण व तैनाती के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों का अंतिम संस्कार करने के लिए धर्म का पता होना आवश्यक होता है। इससे उनका अंतिम संस्कार उसी धर्म के मुताबिक किया जाता है। उधर, योजना पर सवाल उठने के बाद भाजपा ने विपक्ष को घेरा है। राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, अग्निपथ योजना पर जानबूझकर विवाद खड़ा किया जा रहा है। भर्ती प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सेना में जाति के अधार पर भर्ती नहीं होती है, हालांकि, रिकॉर्ड के तौर पर प्रमाणपत्र मांगा जाता है। उन्होंने कहा, विपक्ष युवाओं को जाति के आधार पर बांटने का प्रयास कर रहा है।
 
सेना को बदनाम करना उचित नहीं
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, 2013 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई थी। इसके जवाब में सेना ने कहा था कि यह एक प्रक्रिया बस है। उस वक्त यूपीए की सरकार थी। इसके बाद भी ये लोग सेना को अखाड़े में लाना चाहते हैं, उसे बदनाम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, इस मामले में जानबूझकर भ्रम फैलाया जा रहा है, जिससे सड़क पर आगजनी हो।

भाजपा नेता ने ही उठाए सवाल
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी सैन्य भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, सेना में किसी भी तरह का कोई आरक्षण नहीं है पर अग्निपथ की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे? सेना की स्थापित परंपराओं को बदलने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो प्रभाव पड़ेगा उसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए।

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