मंगलवार को हुई ग्रीष्म संक्रांति

मंगलवार को, उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म संक्रांति मंगलवार दोपहर 2.44 बजे हुई। हर साल जून और दिसंबर में दो संक्रांति होती है।
क्या है ग्रीष्म संक्रांति?
खगोलीय परिभाषा के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति गर्मी के पहले दिन का प्रतीक है। इस तरह की खौगोलिक घटनाएं पृथ्वी के झुकाव और सूर्य के चारों ओर उसकी कक्षा के कारण घटित होती हैं। मंगलवार को, पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य के सबसे करीब झुक गया, जिससे यह सूर्य आकाश में अपने उच्चतम बिंदु पर दिखाई दिया। अर्थस्की के अनुसार, पृथ्वी अपनी कक्षा के समतल के सापेक्ष लगभग 23.4 डिग्री झुकी हुई है, जो संक्रांति के पीछे का कारण है।
इंग्लैंड में विविध कार्यक्रमों का होता है आयोजन
इस अवसर पर हर साल एक लाख से अधिक लोग इंग्लैंड के स्टोनहेंज में आते हैं, गर्मियों और सर्दियों में संक्रांति को चिह्नित करने के लिए हजारों समारोहों में लोग एवं विज्ञानं प्रेमी भाग लेते हैं। वर्ष में दो बार सूरज दोपहर के समय आकाश में अपने उच्चतम या निम्नतम बिंदु पर पहुंचता है, जिसे क्रमशः समर सोलिस्टिस और विंटर सोलिस्टिस। माना जा रहा है कि 4 हज़ार साल पहले स्टोनहेंज का उपयोग ब्रिटेन के शुरुआती निवासियों द्वारा एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में किया गया था। साइट पर 20 वीं शताब्दी से विविध आयोजनों की परंपरा शुरू हुई है।
भारत में भी वैज्ञानिक एवं छात्रों की होती है विशेष नज़र
समर सोलिस्टिस और विंटर सोलिस्टिस का हमारे देश के एवं स्थानीय वैज्ञानिकों एवं छात्रों का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। विविध प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। शहर के रमन साइंस सेंटर में भी इस खौगोलिक घटना पर प्रकाश डालने के लिए वैज्ञानिक विभिन्न मॉडल के ज़रिए छात्रों को इस विषय के बारे में जानकारी देते हैं।

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