संघठीत लूट का गढ़ बना महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ अंतर्राज्यीय चेकपोस्ट

बल्कि राज्यलल सरकार को भी प्रति वर्ष करोड़ों रुपए का राजस्व घाटा उठाना पड़ रहा है।छत्तीसगढ़ की ओर से महाराष्ट्र में प्रवेश करने वाले वाहनों से अवैध रूप से 100 से 500 रूपए तक की इंट्री ली जा रही है इसके अलावा अधिकारियों से मिलीभगत कर दलालों द्वारा ट्रांसपोर्ट,होटल ई के नामों के कार्ड बनवाकर महिने के हिसाब से प्रति कार्ड 2500 से 3000 की दर से बेचकर वसूली की जा रही है।
सुनियोजित और संघटित रूप से होने वाली इस लूट के लिए दलालों ,चंद धाबा/होटलों के संचालकों तथा परिवहन विभाग के अधिकारियों का एक पूरा नेटवर्क बना हुआ है।मैनेजर होता है मुख्य वसूली मैन*हर महीने लाखों रुपए की अवैध वसूली के लिए यहां ड्यूटी करने वाले सभी आर.टी.ओ. अपने साथ अपना एक निजी व्यक्ति रखते हैं जिन्हें कूटनितिक भाषा में मैनेजर कहा जाता है।इंट्री के नाम पर वाहनों से कि जाने वाली सारी वसूली इन्ही के माध्यम से होती है और सिरपुर चेकपोस्ट के दोनो आफिस के आगे ये दिन-रात तैनात रहते हैं।
एंटी करप्शन के छापों के दौरान किसी किस्म के कानूनी अड़चन से बचाने के लिए मैनेजरों को तैनात किया जाता है।बड़े ट्रेलरों से बड़ी कमाई*ओवरलोडिंग, इंट्री के अलावा बड़े बड़े ट्रेलरों से भी नियमों को ताक में रखकर हजारों रुपए लेकर छोड़ने का गोरखधंधा बेरोकटोक जारी है।मुंबई कोलकाता जैसे देश के 2 प्रमुख औद्योगिक शहरों को जोड़ने वाले इस राष्ट्रीय महामार्ग पर बड़े बड़े ट्रैलरो का आवागमन नियमित रूप से होता है और सुरक्षित रूप से इनके परिवहन हेतु परिवहन विभाग द्वारा कई नियम बनाएं गए हैं जिसके द्वारा इन ट्रेलरों पर लदे सामान की लंबाई, चौड़ाई और उंचाई निर्धारित होती है लेकिन दलालों के माध्यम से हजारों रुपए लेकर इन ट्रेलरों को सिरपुर जांच नाके से छोड़ दिया जाता है।आर.टी.ओ. और दलालों की मिलीभगत से जारी इस गोरखधंधे से ना सिर्फ राज्य सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए के राजस्व की हानी होती है बल्कि नियमों को ताक पर रखकर सड़क पर चलते ये ट्रेलर अक्सर छोटे वाहनों के लिए काल बन जाते हैं।चंद हजार रुपए की लालच के चलते हर साल महामार्ग पर होनेवाली दुर्घटना और नागरिकों कि मौत कि जवाबदेही कौन तय करेगा , यहां ये प्रश्न भी उपस्थित होता है

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