हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में भारत और चीन हमसे आगे

नई दिल्ली। (एजेंसी)। अमेरिका के एक टॉप सांसद ने कहा कि एडवांस तकनीक के क्षेत्र में अब अमेरिका उतना प्रभावशाली नहीं है, जबकि चीन, भारत और रूस ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में काफी तरक्की कर ली है। सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के अध्यक्ष जैक रीड ने कहा है कि हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हम तकनीक संबंधी सुधार कर रहे हैं। कभी तकनीक के क्षेत्र में हमारा वर्चस्व हुआ करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में स्पष्ट रूप से चीन, भारत और रूस ने काफी तरक्की कर ली है। रीड ने कहा है कि हम दुनिया के इतिहास में पहली बार त्रिपक्षीय परमाणु प्रतियोगिता का सामना करने वाले है। अब यह द्विपक्षीय नहीं है। मुकाबला अब सोवियत संघ और अमेरिका के बीच नहीं है। अब मुकाबला चीन, रूस और अमेरिका के बीच है। चीन, भारत, रूस और अमेरिका सहित कई देश हाइपरसोनिक हथियार टेक्नोलॉजी को और एडवांस करने में जुटे हुए हैं। पिछले साल अमेरिकी ज्वाइंट चीफ आॅफ स्टाफ के उपाध्यक्ष जनरल जॉन हायटेन ने कहा था कि चीन किसी दिन अमेरिका पर अचानक परमाणु हमला कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि चीनी हाइपरसोनिक मिसाइल ने पूरी दुनिया का चक्कर लगाया है।

हाइपरसोनिक मिसाइल
हाइपरसोनिक मिसाइल वो सुपर एडवांस हथियार होते हैं, जो ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा गति में चले। इन मिसाइलों की स्पीड 6500 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होती है। इनकी गति और दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी ज्यादा सटीक और ताकतवर होती हैं कि इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना लगभग अंसभव होता है।

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