नई दिल्ली. केंद्र सरकार की कोशिश जीवनदायिनी कहे जाने वाली नदियों के संरक्षण को लेकर अपने अभियान में तेजी लाने की है. इसके लिए वह विगत में कई योजनाएं ला चुकी है. अब सरकार तेजी से सिकुड़ती जा रही नदियों के बचाव और उन्हें संरक्षित करने की योजना पर काम कर रही है. केंद्र सरकार ने यमुना और ब्रह्मपुत्र समेत 13 बड़ी नदियों का पुनरुद्धार करने की योजना बनाई है और उसके तहत उसका लक्ष्य वन क्षेत्र में 7,400 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा विस्तार करना है. 13 बड़ी नदियों के पुनरुद्धार के लिए जिन नदियों के वास्ते प्रस्ताव तैयार किए गए हैं उनमें सबसे ज्यादा पंजाब में बहने वाली नदियां शामिल हैं. झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास, सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लूनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी नदी प्रमुख हैं. इससे पहले पिछले महीने केंद्र सरकार ने जानकारी देते हुए बताया था कि सरकार सरस्वती नदी को लेकर लगातार काम कर रही है. केंद्र सरकार सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए अपनी योजना पर प्रयासरत है और इस परियोजना पर काम करने के लिए हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश की सरकारें भी साथ आई हैं. केंद्र ने जानकारी दी कि हिमाचल प्रदेश में सोंब नदी पर आदि बद्री बांध के निर्माण के लिए हरियाणा सरकार और हिमाचल प्रदेश की सरकार की ओर से जनवरी में एक समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया गया है. इस समझौता ज्ञापन के मुताबिक इस बद्री बांध के निर्माण में होने वाले खर्च का वहन हरियाणा सरकार करेगी. इसी बद्री बांध में जमा पानी से सरस्वती नदी के पुनरुद्धार की योजना है. इसके साथ इस बांध के जरिये हिमाचल प्रदेश में खेती और पीने के पानी के लिए करीब 61.88 हेक्टेयर मीटर प्रति वर्ष पानी देने की योजना है. इसमें यह भी बताया गया कि हरियाणा सरकार के अनुरोध पर केंद्रीय जल आयोग परियोजना के डिजाइन आदि कार्यों के संबंध में राज्य सरकार को सलाह भी देगा.
प्रदूषण कम करने में मिलेगी मदद
सरकार से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस योजना से 5.021 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड कम करने में सहायता मिलेगी जो कि 10 साल पुराने वनस्पति के बराबर है. इसके अलावा 7.476 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड कम होगी जो कि 20 साल वनस्पति लगाने से हो सकता है. उन्होंने कहा 13 नदी क्षेत्रों में इस कदम से भूजल संभरण करने एवं अवसादन कम करने में मदद मिलेगी.