नई दिल्ली। (एजेंसी)। पंजाब विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद अब संगरूर के सांसद और आम आदमी पार्टी के चेहरे भगवंत मान राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। मान ने संगरूर जिले की धुरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के दलवीर सिंह गोल्डी को 58,206 मतों के अंतर से हराया है। मान को 18 जनवरी को आप के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया था। पार्टी ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला करने के लिए टेलीफोन पर सर्वे कराने के बाद यह निर्णय लिया गया था। मान को अपना ‘छोटा भाई’ बताते हुए, अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कुल प्रतिक्रियाओं में से, 93.3 प्रतिशत लोग चाहते थे कि मान सीएम बनें।
कौन हैं पंजाब के अगले मुख्यमंत्री भगवंत मान?
1973 में संगरूर के सतोज गांव में जन्मे मान ने अपने करियर की शुरूआत बतौर कॉमेडियन की थी। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत 2011 में पंजाब पीपुल्स पार्टी से की, जिसका नेतृत्व मनप्रीत सिंह बादल कर रहे हैं। 2012 में, उन्होंने लहरगागा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। बाद में, वह 2014 में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए और संगरूर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। पंजाब की राजनीति में उनका महत्व तब बढ़ गया जब उन्होंने पंजाब के दिग्गज नेता सुखदेव सिंह ढींडसा को हराया, जो उस समय शिरोमणि अकाली दल के साथ थे। मान 2014 से लगातार दो बार संगरूर की पंजाब लोकसभा सीट के लिए चुने गए हैं। उन्होंने टीवी शो ‘जुगनू मस्त मस्त’ में अपने व्यंग्यों से लोकप्रियता हासिल की था। उन्होंने कई अन्य कॉमेडी शो में भी अभिनय किया है।
पहली बार किसी पूर्ण राज्य पर आप का कब्जा
पंजाब जीत के साथ, आप की किसी पूर्ण राज्य पर पहली जीत है। 2017 के चुनावों में उसके प्रदर्शन से एक बड़ा सुधार हुआ है जो कांग्रेस के बाद दूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस चुनाव में लेकिन उतरी, गुटबाजी और सत्ता विरोधी लहर से जूझती रही। यह पहली बार है जब भाजपा ने पंजाब में 65 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा है। इसने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस और एसएस ढींढसा के नेतृत्व वाली शिअद (संयुक्त) के साथ गठबंधन किया। लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद हार गए।
इन बड़े दिग्गजों की शर्मनाक हार
पंजाब चुनाव में कई बड़े दिग्गज हार गए। इनमें शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख प्रकाश बादल, सुखबीर बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया जैसे बड़े नेता भी हार गए। सुखबीर सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह, चरणजीत सिंह चन्नी, प्रकाश सिंह बादल, नवजोत सिंह सिद्धू, बिक्रम सिंह मजीठिया हार गए। यह बहुत बड़ा इंकलाब है।