नई दिल्ली। (एजेंसी)। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) हों या सरकारी एजेंसियां, इनकी खाली पड़ी जमीन, भवन या संपत्तियों को बेचकर सरकार पैसे जुटाएगी। इस काम के लिए केंद्र सरकार ने एक कंपनी का भी गठन कर दिया है। इस कंपनी का नाम है-राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (एनएलएमसी)। इस कंपनी पर पूरी तरह से सरकार का मालिकाना हक होगा। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कैबिनेट ने यह फैसला लिया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एनएलएमसी को 5,000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक अधिकृत शेयर पूंजी और 150 करोड़ रुपये की चुकता शेयर पूंजी के साथ भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में स्थापित किया जाएगा. एनएलएमसी सरकारी कंपनियों के लैंड मोनेटाइजेशन में एडवाइजरी की भूमिका निभाएगी. यह उस जमीन की पहचान करेगी, जिनको मोनेटाइज किया जाना है. इसकी रूपरेखा तय करेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सरकारी एजेंसियों और सरकारी एजेंसियों की बेची जा रही या बंद होने के कगार पर चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों की अधिशेष भूमि और इमारतों का मुद्रीकरण करने के लिए एक एनएलएमसी की स्थापना को मंजूरी दी. इस समय सीपीएसई के पास जमीन और भवनों की प्रकृति में काफी अधिशेष, अप्रयुक्त और कम उपयोग की गई नॉन-कोर संपत्तियां हैं. रणनीतिक विनिवेश या बंद होने वाले सीपीएसई के लिए इन सरप्लस लैंड और नॉन-कोर एसेट्स का मोनेटाइजेशन उनके मूल्य को अनलॉक करने के लिए महत्वपूर्ण है. एनएलएमसी इन एसेट्स के मोनेटाइजेशन का समर्थन और काम करेगा. यह निजी क्षेत्र के निवेश, नई आर्थिक गतिविधियों, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए वित्तीय संसाधन उत्पन्न करने के लिए इन कम उपयोग की गई संपत्तियों के उत्पादक उपयोग को भी सक्षम करेगा.
3,500 एकड़ जमीन का मोनेटाइजेशन
अभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने मोनेटाइजेशन के लिए करीब 3500 एकड़ जमीन और दूसरे नॉन-कोर एसेट्स को आगे रखा है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के ऐसे एसेट्स को कॉरपोरेशन के पास ट्रांसफर किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक, एसेट्स को लीज या किराये पर देने या उन्हें किसी दूसरे तरीके से मोनेटाइज करने का हक नेशनल लैंड मोनेटाइजेशन कॉरपोरेशन के पास होगा. एनएलएमसी इसके साथ निवेश और कमर्शियल या रेजिडेंशियल उद्देश्यों के लिए एसेट्स को विकसित भी कर सकता है. एनएलएमसी किराये या लीज के जरिए इनकम भी जुटा सकता है. आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में पहली बार इस तरह से संपत्तियों की बिक्री का प्रस्ताव रखा गया था। इसी कड़ी में सरकार ने अब कंपनी का गठन किया है।
आर्थिक सर्वे में था जिक्र
इस साल आम बजट से एक दिन पहले पेश आर्थिक सर्वे में राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (एनएलएमसी) के गठन का जिक्र किया गया था। सर्वे में बताया गया था कि एनएलएमसी के पास केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की 3,400 एकड़ जमीन और अन्य एसेट की बिक्री के प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। एमटीएनएल, बीएसएनएल, बीपीसीएल, बीएंडआर, बीईएमएल, एचएमटी लिमिटेड और इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों ने भूमि मौद्रीकरण निगम के पास अपनी संपत्तियों के ब्योरे भेजे हैं। आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021-22 से लेकर 2024-25 के दौरान केंद्र सरकार की प्रमुख एसेट की बिक्री से 6 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाने की संभावना है। इनमें सड़कें, रेलवे, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन के अलावा दूरसंचार क्षेत्रों की संपत्तियां ही करीब 83 फीसदी हैं।
बंद पड़ी कंपनियों के लिए अहम
कई सरकारी कंपनियां ऐसी भी हैं, जिनका रणनीतिक विनिवेश हुआ है या बंद हो गई हैं। सरकार की ओर से उठाया गया ये कदम ऐसी कंपनियों के लिए काफी अहम है। राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (एनएलएमसी) सरकार के मोनेटाइजेशन कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद के साथ तकनीकी सलाह भी देगा।