सड़कों पर ढोल पीटने से समाज को खतरा न हो

बेंगलुरु. हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट में नौवें दिन की सुनवाई है. बुधवार को भी कोई ठोस हल नहीं निकल सका. आज यानी गुरुवार को फिर इस मामले में सुनवाई होगी. गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर गर्ल्स, उसके प्रिंसिपल और एक शिक्षक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील एसएस नागानंद ने बुधवार को मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति जेएम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की पूर्ण पीठ को बताया कि सड़कों पर ढोल पीटने से समाज को खतरा न हो. हम एक सामंजस्यपूर्ण समाज हैं. मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं कि उडुपी में कृष्ण मठ के पास बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं और वहां पूर्ण सद्भाव है. उन्होंने आगे कहा कि हिजाब विवाद कुछ लोगों द्वारा सीएफआई के प्रति निष्ठा को लेकर शुरू किया गया था. इस पर, मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि सीएफआई क्या है और इसकी भूमिका क्या है. वरिष्ठ वकील ने कहा कि यह एक प्रकार का संगठन है जो राज्य में विरोध प्रदर्शन का समन्वय और आयोजन करता है. वहीं, एक अन्य वकील ने कहा कि सीएफआई एक कट्टरपंथी संगठन है, जिसे कॉलेजों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने जानना चाहा कि क्या राज्य को इसकी जानकारी थी, जिस पर नागानंद ने कहा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो इसे जानता है. नागानंद ने अदालत को बताया कि कुछ शिक्षकों को सीएफआई ने धमकी दी थी’ उन्होंने कहा, ‘शिक्षक शिकायत दर्ज करने से डरते थे लेकिन अब उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.’ जब जस्टिस दीक्षित ने पूछा कि शिक्षकों को कब धमकाया गया, तो नागानंद ने कहा कुछ दिन पहले. जस्टिस दीक्षित ने नाराजगी जताते हुए एजी से कहा कि उन्हें कोर्ट को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी. एजी ने जवाब देते हुए कहा कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं है. नागानंद ने यह भी कहा कि 2004 से गर्ल्स कॉलेज में वर्दी से संबंधित नियम लागू था और अब तक जारी है.

इसी सप्ताह खत्म करना चाहते हैं मामला
मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी ने कहा था, ‘हम इस मामले को इसी सप्ताह खत्म करना चाहते हैं. इस सप्ताह के अंत तक इस मामले को खत्म करने के लिए सभी प्रयास करें.’

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