नई दिल्ली। (एजेंसी)। एक नई स्टडी में पता चला है कि कोविड-19 मरीजों में मानसिक समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। संक्रमण के सालभर बाद भी एंजाइटी, डिप्रेशन, स्लीप डिसआॅर्डर जैसी परेशानियों से दो-चार होने का खतरा रहता है। अमेरिका में करीब डेढ़ लाख मरीजों पर स्टडी में यह बात सामने आई। लाखों अमेरिकंस के हेल्थ रिकॉर्ड्स खंगालने के बाद रिसर्चर्स ने कहा कि जिन लोगों को कोविड हुआ, उनकी मानसिक सेहत को गहरी चोट पहुंची है। स्टडी के अनुसार, कोविड से उबरे मरीजों में डिप्रेशन का खतरा 40% तक बढ़ जाता है। एंजाइटी का खतरा भी 35% तक बढ़ता है। ओवरआॅल डेटा बताता है कि जिन लोगों को कोविड नहीं है, उनके मुकाबले कोविड से संक्रमित रहे लोगों में मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम का रिस्क 50% ज्यादा है।
कैसे की गई स्टडी?
मार्च 2020 से जनवरी 2021 के बीच कोविड से संक्रमित हुए मरीजों का मेडिकल रिकॉर्ड यूएस डिपार्टमेंट आॅफ वेटरन अफेयर्स से लिया गया। इस डेटा की तुलना दो कंट्रोल गुप्स से की गई। हर ग्रुप में 50 लाख से ज्यादा लोग थे। एक कंट्रोल में वे लोग थे जिन्हें इस दौरान कोविड नहीं हुआ था। दूसरे ग्रुप में वे मरीज थे, जो महामारी शुरू होने से पहले वाले 18 महीनों में आए।
क्या पता चला?
रिसर्चर्स ने पाया कि 18 प्रतिशत से ज्यादा कोविड मरीजों ने संक्रमण से उबरने के सालभर बाद भी मानसिक परेशानी उठाई। उन्हें एक या उससे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कंट्रोल ग्रुप्स में 12% लोगों को ऐसी समस्याएं थीं। मतलब यह कि जिन लोगों को कोविड होता है, उन्हें बगैर कोविड वाले लोगों के मुकाबले मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स होने का खतरा 50% से भी ज्यादा है। कोविड की हिस्ट्री न रखने वालों की तुलना में, रिकवर हो चुके लोगों में डिप्रेशन की आशंका 40% तक, एंजाइटी का रिस्क 35% तक और स्लीप डिसआॅर्डर्स होने का खतरा 41% बढ़ जाता है।
-कोविड होने पर ओपायड यूज डिसआॅर्डर्स की आशंका भी 34% बढ़ जाती है।
-कोविड मरीजों को संक्रमण के अगले साल एंटीडिप्रसेंट प्रिस्क्राइब करने की संभावना 55% बढ़ जाती है।
-स्टडी में यह भी सामने आया कि संक्रमण के अगले साल कोविड मरीजों में किसी तरह की न्यूरोकॉग्निटिव परेशानी होने की खतरा 80% तक बढ़ जाता है। इसमें डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियों के अलावा थकान, भ्रम, ब्रेन फॉग जैसी दिक्कतें भी आ सकती हैं।