नागपुर।(नामेस)। 2008 में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 95वें दीक्षांत समारोह में गायिका लता मंगेशकर को डीलिट (डॉक्टरेट आॅफ लेटर्स) की मानद उपाधि प्रदान की गई थी। अपनी शारीरिक अवस्था के कारण वे उपस्थित नहीं हो पाई थी। उनके परिजन आदिनाथ डिग्री स्वीकार करने के लिए उपस्थित हुए थे, लेकिन उन्होंने वीडियो क्लिप भेजकर विश्वविद्यालय प्रशासन का शुक्रिया अदा किया था। तत्कालीन कुलपति डॉ. एस.एन. पठान के प्रयासों से यह संभव हो सका था। दीक्षांत समारोह को याद करते हुए पूर्व कुलपति डॉ. पठान ने कहा कि विश्वविद्यालय ने लतादीदी को डी. लिट देने का फैसला किया था। कुलपति के रूप में, मैं इस निर्णय के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार था। उस समय उनके परिजनों से पता चला कि उनका स्वास्थ्य खराब होने के कारण वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगी। डॉ. पठान ने कहा, हिम्मत न हारते हुए मैं मंगेशकर परिवार के करीबी प्रोफेसर राम शेवालकर के जरिए मुंबई स्थित उनके निवास स्थान पर पहुंचा। विश्वविद्यालय द्वारा लिए गए निर्णय की जानकारी उन्हें दी। उन्होंने शारीरिक अवस्था के कारण कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर दिया। मैंने उन्हें विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताया। वीर सावरकार से लेकर इंदिरा गांधी तक कई मान्यवरों को यूनिवर्सिटी ने डी.लिट की उपाधि प्रदान की थी। तब उन्होंने डीलिट डिग्री स्वीकार करने की इच्छा जताई। स्वास्थ्य खराब होने के कारण वे उपस्थित तो नहीं हो पाईं, लेकिन वीडियो संदेश के जरिए उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन का आभार माना। उन्होंने डिग्री स्वीकार करने के लिए अपने पोते आदिनाथ को भेज दिया।
मैं नागपुर के लोगों से माफी मांगती हूं
उस समय दीक्षांत समारोह में वीडियो क्लिप चलने की अनुमति नहीं हुआ करती थी। इसके लिए पठान ने विश्वविद्यालय प्रशासन की एक विशेष बैठक बुलाई और सभी ने विशेष मामले के तौर पर वीडियो क्लिप चलाने के प्रस्ताव को स्वीकार किया। दीक्षांत समारोह में लता दीदी का नाम आने के बाद उनका वीडियो क्लिप शुरू हुआ और उन्होंने कहा, मैं नागपुर के लोगों से माफी मांगती हूं, मैं इस समारोह में शामिल नहीं हो पाई। इसके बाद छात्रों और शिक्षकों के तालियों से हॉल गूंज उठा। पठान ने इस घटना का वर्णन ऐसे किया मानों यह कल ही हुई हो।