सीएम चन्नी के भाई ने की बगावत

चंडीगढ़. पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद ना लीडरों में एकजुटता आ पा रही है और ना ही संगठन में. सिद्धू-चन्नी विवाद के बीच अब पंजाब कांग्रेस में बगावत का दौर भी शुरू हो गया है. खुद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई ने कांग्रेस का टिकट नहीं दिये जाने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है. मुख्यमंत्री के छोटे भाई डॉ.मनोहर सिंह ने घोषणा की है कि वह बस्सी पठाना निर्वाचन क्षेत्र से बतौर स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. दरअसल, शनिवार को कांग्रेस ने 86 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी. लेकिन इस लिस्ट में चन्नी के भाई का नाम नहीं था. उसके बाद मनोहर सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया. फतेहगढ़ साहिब जिले का बस्सी पठाना क्षेत्र को चन्नी और उनके परिवार के गढ़ के रूप में देखा जाता है. कांग्रेस ने बस्सी पठाना से मौजूदा विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. डॉ.मनोहर सिंह ने चुनावी मैदान में उतरने के लिए वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के सरकारी पद से इस्तीफा भी दे दिया है. डॉ.सिंह के मुताबिक उन्होंने अपने फैसले के बारे में भाई (चन्नी) को बताया और उन्होंने कोई विरोध नहीं किया. ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें सीएम का समर्थन हासिल है और सीएम चन्नी इसे अपने सम्मान की लड़ाई मान रहे हैं.

क्यों नहीं मिला डॉ.मनोहर सिंह को टिकट?
पार्टी सूत्रों के मुताबिक ‘एक परिवार, एक टिकट’ के नियम की वजह से सीएम चन्नी के भाई मनोहर सिंह को टिकट नहीं दी गई. लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने भी सपोर्ट नहीं किया. सिद्धू तो डॉ.मनोहर के टिकट पर दावा करने के बाद भी बस्सी पठाना से कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार जीपी सिंह के समर्थन में रैली कर रहे थे. ऐसे में मनोहर की उम्मीदवारी को न सिर्फ पार्टी बल्कि सीएम चन्नी के लिए भी नुकसानदेह स्थिति है.

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