नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हर दिन कोरोना का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है. इस बार कोरोना को लेकर खतरा इसलिए भी ज्यादा दिखाई पड़ रहा है क्योंकि इस बार बच्चे भी कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं. चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि पिछली लहरों के उलट इस बार बड़ी तादाद में बच्चों में संक्रमण देखने को मिल रहा है. ज्यादातर मामलों में संक्रमण बहुत हल्का है लेकिन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बीमारी के गहरे लक्षण दिख रहे हैं. हालांकि मौजूदा समय में चिकित्सकों के सामने दो चिंताएं हैं. पहली बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएससी) के बढ़ते मामले. यह समस्या कोविड संक्रमण होने के चार से छह सप्ताह के बाद नजर आ सकती है. दूसरी, चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल बच्चों के लिए आईसीयू और गहन चिकित्सा बुनियादी ढांचे पर कोई दबाव नहीं है, लेकिन मामलों में बढ़ोतरी होने पर व्यवस्था चरमरा सकती है. खासतौर पर बच्चों की देखभाल के लिए उच्च प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारियों की कमी में ऐसा हो सकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देशभर में कोविड के इलाज के लिए 139,300 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं. इनमें से करीब पांच फीसदी यानी करीब 24,057 बिस्तर बच्चों के लिए हैं. देश के अस्पतालों में मौजूद कुल 18 लाख बेड में करीब चार फीसदी बच्चों के लिए हैं.
सितंबर से ही बच्चों के बेड की हो रही तैयारी
देश के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में सितंबर से ही बच्चों के बेड की संख्या सुधारने का सिलसिला जारी है. कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने राज्यों को सलाह दी थी कि शिशु चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जाए. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा अगस्त में घोषित 23,123 करोड़ रुपये के आपात कोविड प्रतिक्रिया पैकेज-2 का करीब आधा हिस्सा पहले ही राज्यों को जारी किया जा चुका है. इस फंड की मदद से बच्चों के लिए करीब 9,574 आईसीयू बेड तैयार किए जाएंगे.