नई दिल्ली. केंद्र सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का कई राज्यों में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना के लिए उपलब्ध कराए गए फंड के लगभग 80 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल सिर्फ इस योजना के प्रचार-प्रसार और विज्ञापनों के लिए किया गया है. महिला अधिकारिता मामलों की समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में फंड के खराब इस्तेमाल पर निराशा जताते हुए इसकी जानकारी दी है. महाराष्ट्र बीजेपी लोकसभा सांसद हिना विजयकुमार गावित की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के संदर्भ में शिक्षा के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण पर अपनी पांचवीं रिपोर्ट पेश की. समिति ने सदन में बताया, ‘2014-15 में अपनी स्थापना के बाद से 2019-20 तक, इस योजना के तहत कुल बजटीय आवंटन 848 करोड़ रुपये था. इसमें 2020-21 का कोविड-त्रस्त वित्तीय वर्ष शामिल नहीं है. इस दौरान राज्यों को 622.48 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी. पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राज्यों ने केवल 25.13 प्रतिशत फंड यानी 156.46 करोड़ रुपये ही इस योजना पर खर्च किए हैं, जो योजना का बेहतर प्रदर्शन नहीं है.’ 2016- 2019 के दौरान जारी किए गए कुल 446.72 करोड़ रुपये में से केवल मीडिया वकालत पर 78.91 प्रतिशत खर्च किया गया.
योजना तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित
यह योजना तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है अर्थात महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय. इस योजना के मुख्य घटकों में शामिल हैं- प्रथम चरण में पीसी और पीएनडीटी एक्ट को लागू करना, राष्ट्रव्यापी जागरूकता और प्रचार अभियान चलाना और चुने गए 100 जिलों में विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित कार्य करना है.
Sunday, November 24, 2024
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