कंगना से वापस ली जाए पद्मश्री

 नई दिल्ली। (एजेंसी)।

हाल ही में पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत का ‘1947 में मिली आजादी को भीख’ कहने के बाद विवाद शुरू हो गया है। सोशल मीडिया के बाद अब कई पार्टी नेताओं ने एकसुर में कंगना रनौत का विरोध करना शुरू कर दिया है। सभी नेताओं ने राष्ट्रपति और सरकार से पद्मश्री अवॉर्ड वापस लेने की मांग की है।  एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कंगना रनौत ने कहा था कि 1947 में मिली आजादी भीख थी, असली आजादी तो 2014 के बाद मिली, जब देश की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पर आई। कंगना रनौत के बयान की देश भर में निंदा हो रही है। कांग्रेस पार्टी के सीनियर लीडर आनंद शर्मा ने इस बयान को चौंकाने वाला और अपमानजनक करार दिया। उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से उनका (कंगना रनौत) पद्मश्री वापस लेने की मांग की है।  आनंद शर्मा ने कहा, ‘कंगना रनौत का बयान उन महान साहसी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है, जिनका नेतृत्व महात्मा गांधी, नेहरू और सरदार पटेल ने किया था। यही नहीं उनका बयान सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और कई अन्य क्रांतिकारियों के बलिदान को भी कम करता है।’  वहीं, बिहार में एनडीए के साथ गठबंधन करने वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि सभी समाचार चैनलों को अभी से कंगना रनौत का बहिष्कार शुरू कर देना चाहिए। मांझी ने राष्ट्रपति से निवेदन किया कि कंगना रनौत को दिया गया पद्मश्री तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। वरना दुनिया यह सोचेगी कि गांधी, नेहरू, पटेल, भगत सिंह, कलाम, मुखर्जी, सावरकर ने आजादी पाने के लिए भीख मांगी थी। शिवसेना नेता नीलम गोरहे ने कहा कि कंगना रनौत पर भारत की आजादी को ‘भिक्षा’ बताने के लिए देशद्रोह का मुकदमा लगाया जाना चाहिए। शिवसेना नेता ने कहा, देशद्रोह के साथ ही उनका पद्म पुरस्कार भी रद्द किया जाना चाहिए।वहीं, आम आदमी पार्टी ने मुंबई पुलिस को अर्जी देकर कंगना रनौत के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है। आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रीति शर्मा मेनन ने अभिनेत्री की टिप्पणी को ‘देशद्रोही और भड़काऊ’ करार दिया।  इतना ही नहीं कंगना रनौत के बयान पर भाजपा से भी प्रतिक्रिया आई है। लोकसभा सांसद वरुण गांधी ने सोशल मीडिया पर कंगना रनौत का वीडियो शेयर करते हुए पूछा, ‘क्या मुझे इसे पागलपन या देशद्रोह कहना चाहिए’।  वरुण गांधी ने ट्वीट किया था, ‘कभी महात्मा गांधी के बलिदान और तपस्या का अपमान, कभी उनके (महात्मा गांधी के) हत्यारे का सम्मान, और अब लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का अपमान – शहीद मंगल पांडे से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस तक। क्या मुझे इसे पागलपन या देशद्रोह कहना चाहिए?’

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