पारशिवनी।
बाल अवस्था में ही काम कर एम बच्चा अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। शिक्षा की उम्र होने के बावजुद हालातों से मजबूर होकर उसे बालमजदूरी करना पड रहा है। बच्चे को हाथ में खेलौने बेचता देख मन में कई सवाल उठते हैं। एक ओर प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत की की बात करते हैं वही दूसरी ओर खेलने कूदने के उम्र में ही बच्चों को काम करता देखा जाता है। मनसर स्थित 13 वर्षीय का प्रेम नामक रोजाना गांव-गांव जाकर चकरी बेचने का काम करता है। एक गांव से दुसरे गांव पैदल चल चकरी बेच कर परिवार की आर्थिक सहायता करने में लगा है। इस उम्र के बच्चों को स्कूली शिक्षा प्राप्त कर अपना भविष्य उज्वल करने का अवसर होता है। उसी उम्र के बच्चों को को शिक्षा छोड काम करने के लिये मजबूर होना पडता है। एक ओर गरीब तो दूसरी ओर पूंजीपति यह दुरी जब तक कम नही होगी तब तक आत्मनिर्भर भारत होना कदापि संभव नही है। सरकार ने ऐसे बच्चों की और उनके परिवार की आर्थिक मदद कर उन्हें शिक्षा दिलानी चाहिए।