नागपुर। (नामेस)।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का साहित्य पूरे विश्व में मार्गदर्शक है और इस साहित्य की महाराष्ट्र के साथ-साथ देश-विदेश में भी बहुत मांग है। इस विचार को आम जनता तक पहुंचाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 15 मार्च 1975 को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर चरित्र साधना प्रकाशन समिति की स्थापना की थी। पिछले 44 वर्षों में, समिति ने केवल 22 खंड और 3 स्रोत सामग्री का प्रकाशन किया है। 2006 के बाद से कोई नया खंड प्रकाशित नहीं हुआ है। यानी पिछले 15 साल से प्रकाशन का काम ठप पड़ा है।
बाबासाहेब के साहित्य की भारी बिक्री के बावजूद, राज्य सरकार और प्रकाशन समिति इस खंड को पुनर्मुद्रित करने और प्रकाशित मराठी खंड का अंग्रेजी और अंग्रेजी खंड का मराठी में अनुवाद करने में विफल रही है। पिछले 16 वर्षों से कई खंडों का पुनर्मुद्रण लंबित पड़ा हुआ है। इतना ही नहीं, आज तक किसी भी अंग्रेजी खंड का कोई मराठी अनुवाद प्रकाशित नहीं हुआ है।
सरकार ने हाल ही में प्रकाशन साहित्य समिति का पुनर्गठन किया है। नागपुर के डॉ. प्रदीप आगलावे को सदस्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। इतना ही नहीं, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों के कई गणमान्य व्यक्ति इस समिति में शामिल किए गए हैं। इसलिए उम्मीद है कि यह कमेटी 15 साल के बैकलॉग को पूरा कर देगी।
भारतीय दलित पैंथर अध्यक्ष प्रकाश बंसोड़ ने कहा कि धम्मचक्र प्रवर्तन के मौके पर एक नया खंड प्रकाशित करने की मांग उठी थी। इसे प्रकाशन समिति और सरकार से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। उम्मीद है कि यह पुस्तक कम से कम आने वाले धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के मौके पर लोगों को उपलब्ध कराई जाएगी।