-राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में खुलासा
मुंबई।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में महाराष्ट्र में महिलाओं और बच्चियों के यौन उत्पीड़न के 18 हजार 769 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी हर दो घंटे में कोई महिला यौन हिंसा का शिकार बन रही है। इनमें से 5570 मामलों में अपराधियों का शिकार नाबालिग बच्चियां बनीं हैं। महिलाओं के साथ बलात्कार के 2061 मामले सामने आएं हैं इनमें से 20 मामलों में महिलाओं की हत्या कर दी गई है।
राज्य में बीते साल महिलाओं के खिलाफ कुल 31 हजार 954 अपराध सामने आएं हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा 49 हजार 385 मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए जबकि 36 हजार 439 मामलों के साथ पश्चिम बंगाल दूसरे और 34 हजार 535 मामलों के साथ राजस्थान तीसरा सबसे असुरक्षित राज्य रहा। महाराष्ट्र महिलाओं के लिए चौथा सबसे असुरक्षित राज्य है।
सार्वजनिक परिवहन सबसे ज्यादा असुरक्षित
महिलाओं के लिए महाराष्ट्र के सार्वजनिक परिवहन सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में देशभर में सार्वजनिक परिवहन में सफर के दौरान महिलाओं के यौन उत्पीड़न के कुल 375 मामले सामने आएं हैं, जिनमें 117 मामले सिर्फ महाराष्ट्र में हैं। यौन उत्पीड़न के 59 मामलों के साथ मध्य प्रदेश सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं के लिए दूसरा सबसे ज्यादा असुरक्षित राज्य है, जबकि ऐसे 56 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर है।
सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवालों के घेरे में रहने वाली दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन के साधनों में महिलाओं से अश्लील हरकत के 11 मामले सामने आएं हैं। देश के नौ केंद्र शासित प्रदेशों में सिर्फ दिल्ली में ही महिलाएं सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हुए यौन उत्पीड़न का शिकार हुईं हैं। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मणिपुर, मिजुरम जैसे कई राज्य हैं जहां सार्वजनिक परिवहन में यात्रा के दौरान महिलाओं से अश्लील हरकत की कोई शिकायत सामने नहीं आई।
पुनर्वास केंद्र भी असुरक्षित
सिर्फ सार्वजनिक परिवहन ही नहीं राज्य के पुनर्वास केंद्र भी सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों के लिए असुरक्षित साबित हुए हैं। सुरक्षा देने के लिए महिलाओं और बच्चों को जिन पुनर्वास केंद्रों में रखा जाता है वहीं 94 यौन उत्पीड़न की शिकायतें सामने आईं हैं। देशभर में पुनर्वास केंद्रों में यौन उत्पीड़न के कुल 407 मामलों में 409 महिलाओं और बच्चों को शिकार बनाया गया है। इसमें से करीब एक चौथाई मामले सिर्फ महाराष्ट्र में हैं। इस मामले में भी 65 मामलों के साथ मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है, जबकि गुजरात मेंऐसी 63 शिकायतें दर्ज की गईं हैं।
सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न में यूपी पहले, महाराष्ट्र दूसरे क्रमांक पर
उत्तर प्रदेश के सार्वजनिक स्थल महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित साबित होते हैं। साल 2020 में सार्वजनिक जगहों पर यौन उत्पीड़न की 15 हजार 736 शिकायतें सामने आईं। 15 हजार 830 महिलाएं इनका शिकार बनीं। इनमें 3 हजार 741 मामलों और 3746 पीड़ितों के साथ उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है। महाराष्ट्र इस मामले में भी ज्यादा बेहतर नहीं है। सार्वजनिक स्थानों पर राज्य में बीते साल 2 हजार 556 मामलों में 2595 महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार हुईं हैं। ओडिशा में सार्वजनिक जगहों पर यौन उत्पीड़न के 1407 जबकि मध्य प्रदेश में 1306 मामले दर्ज किए गए हैं।