उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल धंसने से 41 मजदूर 8 दिन से फंसे हैं। सिलक्यारा की ओर से शुक्रवार दोपहर 2 बजे से बंद पड़ी ड्रिलिंग रविवार शाम चार बजे यानी 50 घंटे बाद फिर से शुरू हो गई।
यहां से खाना अंदर भेजने के लिए एक और छोटा पाइप ड्रिल किया जा रहा है। यह रविवार शाम चार बजे तक 42 मीटर ड्रिल हो चुका है। अब ड्रिलिंग में आ रही रुकावट का पता लगाने के लिए रोबोट की भी मदद ली जाएगी।
इससे पहले रविवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी में एक्सपर्ट्स के साथ बैठक की और टनल के अंदर जाकर रेस्क्यू आॅपरेशन भी देखा। उन्होंने अंदर फंसे लोगों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें आश्वासन दिया।
रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री में सेक्रेटरी अनुराग जैन ने कहा है, ‘अंदर फंसे मजदूरों को मल्टी विटामिन, ड्राई फ्रूट्स और एंट्री डिप्रेशन दवाएं दी जा रही हैं। अच्छी बात यह है कि टनल के अंदर जहां मजदूर फंसे हैं, वहां बिजली सप्लाई है।’
ऊपरी सतह से ड्रिलिंग
इधर, सिल्कयारा टनल में वर्टिकल ड्रिलिंग यानी ऊपरी सतह से ड्रिलिंग की जानी है। इसके लिए पुणे और हॉलैंड से मशीनें मंगाई गई हैं। ये मशीन चिल्यानीसौड़ हवाई पट्टी पर एयरलिफ्ट करके लाई जाएगी। यह सिल्कयारा से 50 किलोमीटर दूर है।
वहीं, टनल को सिक्योर करने के लिए रेलवे ने रविवार सुबह एक और मशीन ऋषिकेश से मंगवाई है। यह टनल में मलबा गिरने से रोकने का काम करेगी।
12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था हादसा
हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी। इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए। रेस्क्यू के दौरान टनल से और पत्थर गिरे जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया। टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।