मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर दो वयस्कों के बीच सहमति से यौन संबंध बनाए जाते हैं तो इसे धारा 376 के तहत रेप नहीं माना जा सकता। जस्टिस नितिन सांबरे और जस्टिस एनआर बोरकर ने यह फैसला सुनाया और आपराधिक याचिका का निपटारा कर दिया। इस मामले में आरोपी और पीड़िता पुणे के रहने वाले हैं।
इस मामले में पीड़िता आरोपी की देखरेख में एक संस्था में काम कर रही थी। शिकायत में कहा गया है कि उस समय आरोपी ने उसे शादी का प्रलोभन देकर उसके साथ बलात्कार किया। आरोपी ने वकील हर्षल सुनील पाटिल और सलाहकार पीयूष तोशनीवाल के माध्यम से शिकायत रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया।
आरोपी के खिलाफ बलात्कार और धमकी की धारा के तहत दंडनीय अपराध के लिए 30 अप्रैल, 2022 को आरोप पत्र दायर किया गया है। शिकायतकर्ता महिला के बयान से पता चलता है कि यह अपराध जनवरी 2019 से 3 अप्रैल 2022 के बीच हुआ है।
महिला ने सहमति से यौन संबंध बनाए
शिकायतकर्ता ने महिला से सहमति से यौन संबंध बनाए हैं। इस संबंध में महिला की ओर से खुलासा का हलफनामा कोर्ट में दाखिल किया गया। इसमें आरोपी ने महिला को हुए नुकसान की भरपाई की है। उनका रिश्ता सहमति से था। महिला ने कहा कि इसलिए संबंधित अपराध को रद्द करने में कोई आपत्ति नहीं है।
एफआईआर को रद्द कर दिया गया
बचाव पक्ष ने मांग की कि अपराध को रद्द कर दिया जाए क्योंकि इस अपराध में बलात्कार की धारा लागू नहीं होती। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ‘शंभू कारवार बनाम’ मामले का हवाला दिया। उत्तर प्रदेश राज्य में दिए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए एफआईआर को रद्द कर दिया गया।